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चावलों से भरे गोदाम, गेहूं भंडारण की चिंता

गेहूं खरीद शुरू होने के पहले की प्रशासन को भंडारण की चिंता सताने लगी है। जिले में मात्र दो गोदाम है। जिसकी भंडारण की क्षमता 20 हजार एमटी है। ये गोदाम पहले से ही चावल से भरे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Mar 2020 11:17 PM (IST)Updated: Tue, 17 Mar 2020 11:17 PM (IST)
चावलों से भरे गोदाम, गेहूं भंडारण की चिंता
चावलों से भरे गोदाम, गेहूं भंडारण की चिंता

संत कबीरनगर: गेहूं खरीद शुरू होने के पहले की प्रशासन को भंडारण की चिंता सताने लगी है। जिले में मात्र दो गोदाम है। जिसकी भंडारण की क्षमता 20 हजार एमटी है। ये गोदाम पहले से ही चावल से भरे हैं। ऐसे में एक अप्रैल से गेहूं खरीद शुरू होने के बाद उसके भंडारण को लेकर विभाग की मुश्किल बढ़ सकती है।

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पिछले साल समर्थन मूल्य योजना के तहत किसानों से गेहूं खरीदने का लक्ष्य भंडारण की क्षमता से तीन गुना अधिक मिला था। वर्तमान में इन दोनों गोदामों में चावल रखा हुआ है। यदि ये गोदाम जल्द चावल से खाली नहीं हुए तो एक अप्रैल से 15 जून तक किसानों से खरीदे जाने वाले गेहूं को रखने में दिक्कत हो सकती है। हर साल धान, गेहूं खरीद के समय भंडारण की समस्या आती है। जगह के अभाव में केंद्र प्रभारी खरीद को कुछ दिनों के लिए टाल देते हैं।

गोदाम की भंडारण क्षमता

गोरखपुर-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर मंडी यार्ड के पास पीईजी-रसहरा के गोदाम की क्षमता 20 हजार एमटी की है। इसमें से 25 फीसद भूमि का फर्श न बनने से पांच हजार एमटी अनाज रखा नहीं जा सकता। यहां सिर्फ 15 हजार एमटी ही गेहूं रखा जा सकता है। वहीं जंगलऊन के पास स्थित गोदाम की भंडारण क्षमता पांच हजार एमटी की है। ये दोनों गोदाम सार्वजनिक वितरण प्रणाली के चावल से भरे हुए हैं।

पिछले साल मिला था 49,500 एमटी का लक्ष्य

पिछले साल किसानों से 49,500 एमटी गेहूं खरीदने का लक्ष्य मिला था। इस लक्ष्य के तुलना में 6,955 किसानों से 36,070.90 एमटी गेहूं खरीदा गया था।

पिछले साल गेहूं का समर्थन मूल्य 1,840 रुपये व पल्लेदारी 20 रुपये यानी कुल 1,860 रुपये प्रति क्विटल दर तय था। वहीं इस साल गेहूं का समर्थन मूल्य 1925 रुपये प्रति क्विटल घोषित है, लेकिन पल्लेदारी का दर व गेहूं खरीद का लक्ष्य अभी तय नहीं हुआ है।

दोनों गोदामों सार्वजनिक वितरण प्रणाली के चावल से भरे हुए हैं। इसे जल्द खाली कराने का प्रयास किया जाएगा ताकि खरीद पर कोई असर न पड़े।

रामानंद जायसवाल-डिप्टी आरएमओ


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