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मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

संतकबीर नगर: लेडुवा-महुआ स्थित मदरसा अरबिया अतहरुल उलूम में हाजी इमामुद्दीन की निजामत में जलसा-ए-दस्

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 11:13 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 11:13 PM (IST)
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

संतकबीर नगर: लेडुवा-महुआ स्थित मदरसा अरबिया अतहरुल उलूम में हाजी इमामुद्दीन की निजामत में जलसा-ए-दस्तारबंदी का आयोजन किया गया। मुल्क के मशहूर उलेमाओं ने एकता एवं भाईचारा पर जोर दिया। मदरसे से तालीम कर चुके बच्चों की दस्तारबंदी कर सनद दी गई। मदरसा में 25 वर्ष से अधिक सेवा दे चुके चार अध्यापकों को पुरस्कार दिया गया। जलसे का आगाज मोहम्मद अशफाक साहब ने तिलावते कुरान के साथ किया।

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गोरखपुर के पूर्व आरटीओ मुआशरुल्लाह अंसारी ने कहा कि अल्लाह की मुकद्दस किताब कुरान को अपने दिल में बसाना एक मुसलमान के लिये बड़े शर्फ की बात है। इस्लाम में इल्म हासिल करना अहम फरीजा है। इल्म ऐसी दौलत है कि जो कभी खत्म नहीं होती। महराजगंज के डायट प्राचार्य मसूद अख्तर ने कहा कि इस्लाम अमन व भाईचारा का पैगाम देता है। दस्तारबंदी में आलम ऐसा था कि सारा जमात ही नातों और शायरों की शायरी में सारी रात झूमते रहे। हाजी इमामुद्दीन ने जलसे में आए हुए समस्त लोगों का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि यह मदरसा हर साल ही ऐसे हीरे पैदा करता है जो दीन और इस्लाम की रोशनी हमारे लोगों तक पहुंचाएंगे। मदरसा के 62 बच्चों को हिब्ज, कुरान पूरा करने पर सम्मानित किया गया। मदरसे में 25 साल सेवा दे चुके मास्टर मोहम्मद हुसैन, हाफिज समसुद्दीन, हाफिज मोहम्मद, फारूक मास्टर रियाजुद्दीन को पुरस्कार दिया गया। डा.हैदर अली अंसारी, मोहम्मद असजद, हाजी हिदायतुल्ला, मास्टर इश्तियाक अहमद, जुबेर, शफीउल्लाह सिद्दीकी, कलीमुल्लाह, मुफ्ती मसूद अहमद समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।


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