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Sant Kabur Nagar: मार्बल कारोबारी के अपहरण में परिचित ने निभाई थी भूमिका, अगवा कर फिरौती मांगने की दी थी सलाह

खलीलाबाद के डीघा बाईपास पर मार्बल की दुकान चलाने वाले व्यापारी का नंबर उनके परिचित ने ही गोरखपुर के फल मंडी के पास होटल चलाने व जमीन खरीदने-बेचने वाले लक्ष्मीकांत सिंह उर्फ अजय को दिया था और अपहरण करने पर अच्छा पैसा मिलने का सुझाव दिया था।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Thu, 25 May 2023 04:21 PM (IST)Updated: Thu, 25 May 2023 04:21 PM (IST)
Sant Kabur Nagar: मार्बल कारोबारी के अपहरण में परिचित ने निभाई थी भूमिका, अगवा कर फिरौती मांगने की दी थी सलाह
मार्बल कारोबारी के अपहरण में परिचित ने निभाई थी भूमिका। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

संतकबीर नगर, जागरण संवाददाता। पुलिस की पूछताछ में पता चला कि मार्बल कारोबारी के परिचित ने अपहरण कांड में प्रमुख भूमिका निभाई। इसी परिचित व्यक्ति ने गोरखपुर-फल मंडी के पास होटल चलाने वाले व भूमि खरीदने-बेंचने वाले व्यक्ति को मार्बल कारोबारी का मोबाइल नंबर दिया था। इसके साथ ही होटल संचालक को कारोबारी का अपहरण करके और फिरौती के रूप में अच्छी रकम प्राप्त करने का सुझाव दिया था।

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पुलिस की पूछताछ में अपहरणकर्ता राजस्थान के नागौर जिले के चितावा थाना के मोतीपुरा गांव के निवासी नेपाल सिंह ने बताया कि राजस्थान के नागौर जिले के गच्छीपुरा थाना के गौरावा (कल्याणपुरा) गांव निवासी हंसराज बाबला पुत्र हीराराम उनके परिचित हैं। वह संतकबीर नगर जिले में कोतवाली खलीलाबाद थाना के डीघा बाईपास पर मार्बल की दुकान चलाते हैं। उन्होंने गोरखपुर के फल मंडी के पास होटल चलाने व जमीन खरीदने-बेचने वाले गाजीपुर जिले के करंडा थाना के परमेठ गांव निवासी लक्ष्मीकांत सिंह उर्फ अजय को मार्बल कारोबारी हंसराज का मोबाइल नंबर दिया था। उनसे कहा था कि इनका अपहरण करने पर फिरौती के रूप में अच्छा पैसा मिलेगा।

मंगलवार को सुबह एक नये मोबाइल नंबर से होटल संचालक लक्ष्मीकांत ने मार्बल कारोबारी को फोन किया। उनसे कहा कि मुझे टाइल्स लगवानी है, आप आकर नाप ले-लें। इस पर मार्बल कारोबारी अपने एक साथी के साथ मोटरसाइकिल से गोरखपुर जिले के नौसढ़ में आए। इन्हें एक कार में बैठाकर गोरखपुर जनपद के सिकरीगंज थाना के सतौरा गांव स्थित वासुदेव तिवारी के घर ले गए। फोन करने पर मार्बल कारोबारी के मित्र मुकेश बाबला पुत्र मानाराम ने होटल संचालक लक्ष्मीकांत के बैंक खाते में 60 हजार रुपये भेजा। शेष एक लाख 40 हजार रुपये के लिए वे लोग दबाव डाल रहे थे।


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