दीवारों को पंसदीदा रंग से संवारने की तैयारी
दीपावली पर अब रंग बदल गए हैं। दशकों तक दीवारों पर चून का राज था। अब इसकी जगह डिस्टेंपर प्लास्टिक पेंट डिजायनर पेंट व आयल पेंट ने ले-ली है।रंगाई-पुताई से घर-आंगन प्रतिष्ठान कार्यालय विद्यालय को खुबसूरत बनाने की तैयारियां चल रही है। इसके लिए कारीगरों की मांग बढ़ गई है। खोजने पर कारीगर नहीं मिल पा रहे हैं।
संतकबीर नगर : दीपावली पर अब रंग बदल गए हैं। दशकों तक दीवारों पर चून का राज था। अब इसकी जगह डिस्टेंपर, प्लास्टिक पेंट, डिजायनर पेंट व आयल पेंट ने ले-ली है।रंगाई-पुताई से घर-आंगन, प्रतिष्ठान, कार्यालय, विद्यालय को खुबसूरत बनाने की तैयारियां चल रही है। इसके लिए कारीगरों की मांग बढ़ गई है। खोजने पर कारीगर नहीं मिल पा रहे हैं। इससे इनकी पारिश्रमिक में भी बढ़ोत्तरी हो गई है।
खलीलाबाद बाईपास स्थित प्रतिष्ठान के कारोबारी राजेश सिंह का कहना है कि डिजायनर पेंट, आयल पेंट व डिस्टेंपर, वाल स्टीकर की मांग अधिक है। पेंट व्यापारी नवीन गुप्त का कहना है अब लोग वाल पेंटिग, वाल स्टीकर और डिजायनर पेंट की मांग अधिक कर रहे हैं। डिस्टेंपर की मांग अपनी जगह कायम है। समोसम का प्रभाव इसलिए कम हो गया है, क्योंकि इसकी लाइफ एक साल रहती है। टीचर कालोनी निवासी गिरिजेश चौधरी का कहना है कि बच्चों ने नए पेंट लगवाने की बात कहीं। कारीगर न मिलने पर इस बार डिस्टेंपर से काम चलाना पड़ा।
कारीगर रामकरन का कहना है कि वर्तमान में सामान्य मजदूरी प्रतिदिन चार सौ रुपये है। अलग-अलग डिजाइन में रंग-रंगने के लिए पांच सौ से छह सौ रुपये प्रतिदिन मजदूरी की मांग की जा रही है। डब्लू का कहना है कि पुट्टी, प्लास्टर आफ पेरिस आदि से दीवार ठीक करने के बाद दीवारों में चमक आ जाती है। लंबे समय से से प्रयोग किए जा रहे चूना, गेरू, पीली मिट्टी, लाल मिट्टी का कारोबार लगभग खत्म होने की स्थिति में है।