सांथा व बेलहर में एक को भी नही मिला सौ दिन का रोजगार
मेहदावल : चालू वित्तीय वर्ष में मनरेगा की हालत बदतर रही। सौ दिन के रोजगार का दावा करने वा
मेहदावल : चालू वित्तीय वर्ष में मनरेगा की हालत बदतर रही। सौ दिन के रोजगार का दावा करने वाली योजना ने सांथा और बेलहर में मजदूरों को जोर का झटका दिया। यहां पर एक भी मजदूर को सौ दिन का रोजगार नहीं मिल पाया। जबकि मेहदावल ने रिकार्ड कायम करते हुए 14 मजदूरों को सौ दिन का रोजगार उपलब्ध करवाया। आंकड़े मेहदावल को दिलाशा दे सकते है क्योंकि सांथा और बेलहर ने जीरो से आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं दिखाई।
मनरेगा के लिए चालू वित्तीय वर्ष बहुत बुरा रहा, इस वर्ष में सरकार बदली तो व्यवस्था भी बदल गई। भुगतान की किचकिच और नए-नए नियम से कार्यदायी संस्था काम कराने को तैयार नही दिखी क्योंकि पहले की अपेक्षा मनरेगा में मलाई काटने के मौके कम होने लगे थे। मनरेगा से काम न मिलने के कारण मजदूर भी दूसरे प्रदेशों की खाक छानने को मजबूर हुए। महिलाएं जो घर में रहकर आत्मनिर्भर बन रही थीं उनको भी काम न मिलने से हलकान होना पड़ा है।
सांथा विकास खंड में 27823 मजदूरों ने मनरेगा में रजिस्ट्रेशन कराया है। बेलहर ब्लाक में 24080 मजदूर तो मेहदावल में 27725 मजदूरों ने काम की चाहत में अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है। लेकिन जब सौ दिन का रोजगार देने की बात आई तो सांथा और बेलहर कला ब्लाक में एक भी मजदूर सौ दिन का रोजगार नही पा सके तो मेहदावल में महज 14 लोगों को ही सौ दिन का रोजगार मिल सका। एक तरफ कार्यदायी संस्था ने काम कराने को लेकर रुचि नही दिखाई तो दूसरी तरफ जिम्मेदार अधिकारी भी मनरेगा की सुस्ती तोड़ने के लिए आगे नही आये जिसके कारण मनरेगा इस वर्ष निढाल हो गई और उसने मजदूरों को जोर का झटका दिया और गांव में विकास के कार्य भी अवरुद्ध हुए। नए वर्ष में लोगों को मनरेगा की सुस्ती टूटने की उम्मीद है जिससे रोजगार गारंटी योजना जमीन पर पूर्व की भांति सफल हो सके।