मेरी भी तकदीर बना देना, मुझको शाही फकीर बना देना
वयम एसोसिएशन के तत्वाधान में सोमवार को डीएवी इंटर कालेज मेंहदावल परिसर में साहित्य संगम की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान कवियों ने अपनी रचनाओं से सामाजिक कुरीतियों और राजनैतिक व्यवस्था पर प्रहार किया।
संतकबीर नगर:वयम एसोसिएशन के तत्वाधान में सोमवार को डीएवी इंटर कालेज मेंहदावल परिसर में साहित्य संगम की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान कवियों ने अपनी रचनाओं से सामाजिक कुरीतियों और राजनैतिक व्यवस्था पर प्रहार किया।
अध्यक्षता कर रहे गिरिराज सिंह ने देश की माटी को नमन, यह उर्वरा धरती है। कविता के माध्यम से देश की विशेषताओं का वर्णन किया। अनमोल कुशीनगरी ने तेरे ही नाम से धड़कता है मेरा दिल, ऐ मां मेरी नजरों में तूं हैं जान मेरी। के माध्यम से मां की महिमा को उकेरा। रविकांत पांडेय ने मैं फूलों सा था तुम चुन नहीं पाई, मेरे संग प्रीत की चादर तुम बुन नहीं पाई। के माध्यम से श्रंगार रस की कविता सुनाकर सभी को भावविभोर कर दिया। राधेश्याम मिश्र संगम ने मानव को खिलौना मत समझो.. कविता के माध्यम से समाज की कुरीतियों पर प्रहार किया। नरसिंह नारायण कमल ने नारा सिर्फ चल रहा, जिस पर चले विकास, नारे देकर देश का करते रहे सत्यानाश के माध्यम से राजनैतिक व्यवस्था पर चोट किया। इस दौरान श्याम कार्तिकेय,मनोज पवार,महेंद्र नाथ सिंह,आदित्य नारायण राय, संत प्रसाद श्रीवास, राघवेंद्र प्रताप रमन, सर्वेश त्रिपाठी, बलवंत प्रताप नारायण सिंह, वैभव शुक्ल, राजेंद्र बहादुर सिंह, हलीम मेंहदावली समेत अनेक कवि मौजूद रहे।
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