यहां जान जोखिम में डाल पार करते हैं हाईवे
कांटे, संतकबीर नगर : मुख्यालय से जनपद की पश्चिम सीमा टेमा -रहमत के बीच की 15 किलोमीटर दूरी में गोरख
कांटे, संतकबीर नगर : मुख्यालय से जनपद की पश्चिम सीमा टेमा -रहमत के बीच की 15 किलोमीटर दूरी में गोरखपुर-लखनऊ हाईवे के दोनों और स्थित दर्जनों गांवों के अनेकों लोग रोजाना ओवरब्रिज और अंडरपास विहीन चौराहो को पार करने का जोखिम उठा रहे हैं। इनमे एक बड़ी तादात सायकिल से या फिर पैदल स्कूल जाने वाले विद्यार्थी हैं जो रो•ा तडको से इन चौराहों को पार करते हैं। हाईवे के भुवरिया, मीरगंज, डंडवा, भुजैनी, कांटे, बूधा, जिगिना, कुर्थिया और टेमा चौराहे पर अडरपास नहीं है और यहां दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं ¨कतु फोरलेन पार करने का जोखिम उठाना मजबूरी है।
अपने पाल्यों को शिक्षा-दीक्षा के लिए तडके ही तैयार कर स्कूल रवाना कर रहे परिजनो की सांसे इन दिनों तब तक अटकी हुई रहती हैं जब तक उनके पाल्य स्कूल से सकुशल नहीं लौट आते। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें हाईवे पार करना होता है। 100 से 120 किलोमीटर तक की रफ्तार से गु•ार रहे वाहन के बीच अंडरपास विहीन चौराहा पार करना जोखिम भरा काम है। जरा सी चूक से जान पर बन आती हैं। भुवरिया, भुजैनी, कांटे, बूधा, जिगिना और टेमा ऐसे चौराहे हैं जहां से कई गांवों संपर्क मार्ग जुड़ते हैं और यहां सुबह से देर रात तक लोगों का आना-जाना लगा रहता है। हाईवे किनारे स्थित गांवों के किसानों को अपने खेतो तक पहुंचने के लिए भी हाईवे को अक्सर पार करना पड़ता है। अंधेरा होने तथा कोहरा पड़ने पर इन अंडरपास विहीन चौराहों को पार करना बहुत ही जोखिम भरा है। बीते कुछ वर्षो मे सर्वाधिक हादसे बूधा कला चौराहे पर हुए। जनवरी 2012 से दिसंबर 2017 के बीच हाईवे के बूधा कला चौराहे पर 10 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। भुजैनी, कांटे, जिगिना और टेमा चौराहे पर भी सड़क पार करते समय कई लोगो की जान गयी हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि हाईवे पर वाहनों की रफ्तार इतनी अधिक रहती है कि जरा सी चूक हुई तो सड़क पार करने मे दुर्घटना घट जाती है। लोगों का कहना है कि चौराहों पर रिफलेक्टर और संकेतक लगे होने के बावजूद वाहनो की गति कम नहीं होती लोगों का मानना है कि यदि इन चौराहों पर अंडरपास बने तो दुर्घटनाएं रुक सकती हैं।