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मूल कांग्रेसी पर नेतृत्व का भरोसा

आजादी के बाद राजनैतिक हलकों में वैसे भी कांग्रेस की ही तूती बोलती थी। इस दौर में भी तत्कालीन अविभाजित बस्ती जिले की राजनीति में धनुषधारी पांडेय का नाम सबसे प्रभावी नेता के रूप में लिया जाता था। वह चार बार विधायक रहने के साथ ही दो बार बस्ती जिला परिषद के चेयरमैन भी रहे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 10:57 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 06:07 AM (IST)
मूल कांग्रेसी पर नेतृत्व का भरोसा
मूल कांग्रेसी पर नेतृत्व का भरोसा

संतकबीर नगर:आजादी के बाद राजनैतिक हलकों में वैसे भी कांग्रेस की ही तूती बोलती थी। इस दौर में भी तत्कालीन अविभाजित बस्ती जिले की राजनीति में धनुषधारी पांडेय का नाम सबसे प्रभावी नेता के रूप में लिया जाता था। वह चार बार विधायक रहने के साथ ही दो बार बस्ती जिला परिषद के चेयरमैन भी रहे। जीवनभर कांग्रेस के वफादार रहने के बाद उनके पुत्र ने राजनैतिक विरासत को संभाला। वह भी दो बार खलीलाबाद वर्तमान में संतकबीर नगर सीट से सांसद चुने गए।

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लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद कांग्रेस संगठन में परिवर्तन का दौर शुरू होने के कयास लगाए जा रहे थे। इसक्रम में प्रवीण चंद्र पांडेय को जिलाध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने अपने अतीत के सहयोगी परिवारों को फिर से जगाने का प्रयास किया है। उनके बाबा धनुषधारी पांडेय को जिले में कांग्रेस की राजनीति की धुरी माना जाता था। वह रामनगर और हैंसर विधानसभा क्षेत्र से एक-एक बार और खलीलाबाद क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर दो बार विधायक बने। नव नियुक्त जिलाध्यक्ष प्रवीण के पिता कृष्णचंद्र पांडेय गोरखपुर विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष रहने के बाद पिता की विरासत को संभालने के लिए राजनीति में उतरे। कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने भी दो बार सांसद बनने में सफलता प्राप्त की। धनुषघारी पांडेय पं. जवाहर लाल नेहरू के करीबियों में गिने जाते थे। इसी प्रकार कृष्णचंद्र पांडेय भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नजदीक रहे। बदलते परिवेश में भी इस परिवार द्वारा कांग्रेस का झंडा बुलंद करने का कार्य किया जा रहा है। प्रवीण को जिलाध्यक्ष बनाए जाने पर कार्यकर्ताओं ने इसे मूल कांग्रेसी परिवारों के सम्मान की कड़ी बताया।


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