मुश्किलों भरी डगर पर बेटियों की शिक्षा का सफर
जनपद की पश्चिमी सीमा पर स्थित टेमारहमत समेत अनेक गांव की बालिकाओं के लिए न तो सरकारी कन्या इंटर कालेज हैं और न ही डिग्री कालेज ही। दशा यह है कि माध्यमिक शिक्षा के लिए निजी क्षेत्र के सहशिक्षा वाले संस्थानों में प्रवेश लेना छात्राओं की मजबूरी बन गई है।
संतकबीर नगर: जनपद की पश्चिमी सीमा पर स्थित टेमारहमत समेत अनेक गांव की बालिकाओं के लिए न तो सरकारी कन्या इंटर कालेज हैं और न ही डिग्री कालेज ही। दशा यह है कि माध्यमिक शिक्षा के लिए निजी क्षेत्र के सहशिक्षा वाले संस्थानों में प्रवेश लेना छात्राओं की मजबूरी बन गई है।
कोतवाली खलीलाबाद के दर्जनों गांवों की बेटियों के लिए आजादी के 72 वर्ष बाद भी उच्च शिक्षा के लिए सरकारी संस्थानो की उपलब्धता नहीं है। जूनियर स्तर तक की शिक्षा का प्रबंध तो अधिकांश गांवो में है।इसके बाद शिक्षा के लिए बेटियों की डगर मुश्किलों भरा साबित हो रहा है।जिला मुख्यालय से टेमा रहमत की दूरी लगभग 15 किमी है।
कांटे क्षेत्र की बालिकाएं इंटरमीडिएट की शिक्षा के लिए मुंडेरवा कस्बे के गन्ना विकास इंटर कालेज में जाती हैं। यह सरकारी तो है कितु पढ़ाई सहशिक्षा के आधार पर होती है। यहां से एचआरपीजी कालेज की दूरी लगभग 15 किमी है। अभिभावकों का कहना है कि निजी संस्थानों में प्रवेश करवाने पर उन्हें भारी भरकम फीस जमा करनी पड़ती है।