बखिरा झील में पहुंच रहे विदेशी पक्षियों के शिकार को सक्रिय हुए शिकारी, मुंहमांगी कीमत पर बिकता है इनका मीट
करीब 30 वर्ग किमी क्षेत्रफल में संतकबीर नगर के बखिरा झील में प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में साइबेरियन पक्षी सुदूर देशों से आते हैं। इन पक्षियों का यहां के स्थानीय शिकारी शिकार करते हैं। इन पक्षियों का मीट मुंहमांगी कीमत पर बिकता है।
संतकबीर नगर (बखिरा), जागरण संवाददाता। गुलाबी ठंड के बीच बखिरा के मोती झील में हजारों किमी की यात्रा कर पहुंच रहे विदेशी पक्षियों के शिकार के लिए शिकारी सक्रिय हो गए हैं। लालसर, कैमा, पटेरा, मुराव, टिकिया आदि प्रजाति के पक्षी शिकारियों के द्वारा मारकर बेच दिए जा रहे हैं। शिकार रोकने में स्थानीय पुलिस के साथ ही साथ पक्षी विहार के कर्मचारी पूरी तरह से विफल हैं। इस बीच हो रहे शिकार के बावजूद अभी तक किसी भी शिकारी को दबोचा नहीं जा सका है, जबकि विदेशी चिड़िया खुलेआम बेची जा रही है।
तीस किमी क्षेत्र में फैला है झील
बखिरा के मोती झील में मेहमान साइबेरियन पक्षी सुदूर देशों से आते हैं। करीब 30 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली झील के किनारे स्थित झुगिंया, शनिचरा, महला, बड़गो, गोबिनापुर, हड़हा आदि गांवों के कुछ शिकारी रात को जाल बिछाकर शिकार कर रहे हैं। सुबह इन गांवों में पक्षियों को खरीदने के लिए खरीदार पहुंच रहे हैं। शिकारी पका चावल, आटा की गोली, पुरईन के पत्तों पर रखकर इनका शिकार करते हैं। पक्षियों के आने के साथ ही शिकारी पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं।
मुंहमांगी कीमत पर बिकते हैं पक्षी
इन पक्षियों को 1200 से लेकर 1800 रुपये जोड़ा की दर से बेचा जा रहा है। मांस के शौकीन पक्षियों को खरीदने के लिए दूर-दूर से पहुंच रहे हैं और मुंहमांगे दामों पर ले जाते हैं। बिना रोकटोक चल रहे शिकार को लेकर क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है। कुछ लोगों का आरोप है कि शिकार की मौन स्वीकृति पुलिस और पक्षी विहार के लोगों की है। विभागीय कर्मियों की मिलीभगत से ही पक्षियों का शिकार हो रहा है।
झील में हजारों किमी की दूरी तय करके पक्षी पहुंच रहे हैं। इस बीच इन विदेशी पक्षियों के शिकार की भी सूचना मिल रही है। हालांकि अभी तक कोई पकड़ा नहीं गया है। झील में लगातार गश्त हो रही है। जो भी पक्षियों का शिकार करते पाया गया उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - रणविजय सिंह, उप प्रभारी वन अधिकारी।