काश ! ऐसे ही सभी को मिलती सहायता
आम तौर पर इलाज के लिए अस्पतालों पर पहुंचने के बाद लोगों को कभी डाक्टर के नहीं मिलने और कभी जांच नहीं हो पाने के लिए भटकना पड़ता है। इसी दौरान जिला संयुक्त चिकित्सालय संतकबीर नगर पर रोगी सहायता केंद्र कर्मियों ने मानवता का बेहतर संदेश दिया।
संतकबीर नगर:आम तौर पर इलाज के लिए अस्पतालों पर पहुंचने के बाद लोगों को कभी डाक्टर के नहीं मिलने और कभी जांच नहीं हो पाने के लिए भटकना पड़ता है। इसी दौरान जिला संयुक्त चिकित्सालय संतकबीर नगर पर रोगी सहायता केंद्र कर्मियों ने मानवता का बेहतर संदेश दिया। सभी ने पीड़ित महिला को भती करवाने के साथ ही रक्त की व्यवस्था करवाकर जीवनदान देने का प्रयास किया।
बखिरा थानाक्षेत्र के ग्राम भगवानपुर निवासिनी 19 वर्षीया नेहा अपनी मां रेशमा के साथ इलाज के लिए जिला अस्पताल पर मंगलवार को आई थी। ओपीडी में पर्चा बनवाने के दौरान ही वह बेहोश होकर गिर गई। इससे अस्पताल में अफरातफरी मच गई। आनन-फानन उसे डा. कुमार सिद्धार्थ के पास ले जाया गया। उन्होंने पैथालोजी कर्मियों को बुलवाकर जांच करवाई तो हीमोग्लोबिन महज तीन ग्राम ही मिला। इससे उनकी जान पर संकट देकर तत्काल खून का प्रबंध करने के लिए मां से कहा गया। उसने बताया कि पति बाहर रहते हैं और परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है। उसकी असमर्थता देख रोगी सहायता केंद्र के प्रबंधक शिवेंद्र तिवारी व चंदा तथा गंगा ने मदद की। सभी ने उसे वार्ड में भर्ती करवाने के साथ ही खून की व्यवस्था की। इससे किशोरी को राहत मिली। रेशमा ने बताया के अस्पताल पर तैनात रोगी सहायता केंद्र कर्मियों की मदद से उनके बेटी की जान बच सकी।