मां हट्ठी पूरी करती हैं भक्तों की हर मनोकामना, रोचक है संतकबीर नगर के इस मंदिर का इतिहास
उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर जिले के हट्ठी माई मंदिर का इतिहास काफी रोचक है। इस मंदिर पर भक्तों की अटूट आस्था है। हट्ठी माई का दर्शन करने दूर दूर से लोग आते हैं। इस मंदिर को लेकर कई मिथक है।
गोरखपुर, जेएनएन। संतकबीर नगर के बघौली ब्लाक के बरईपार में स्थित मां हट्ठी का प्राचीन मंदिर स्थित है। यह स्थान भक्तों की आस्था का केंद्र है। यहां हर दिन स्थानीय व अन्य स्थानों के भक्त पूजन-अर्चन के लिए आते हैं। मां भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं। मां के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता है
ऐसी है इस मंदिर की मान्यता
यहां प्राचीन काल से मां की पूजा की जा रही है। भक्तों का मानना है वर्षों पूर्व नीम के पेड़ से लौग गिरता था। जिसे खाने से लोगों के रोग और दूख दूर हो जाते थे। उसके बाद से यहां भक्तों की भारी भीड़ जुटने लगी। बाद में भक्तों की सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया गया। 1960 में मंदिर का घंटा चोरी होने पर तत्कालीन पुजारी शमशेर सिंह ने माता के दरबार में कहा कि माता जब आप अपनी ही रक्षा नहीं कर पा रही हैं तो हम लोगों की कौन रक्षा करेगा। उसके बाद घंटा वापस आ गया।
नेपाल तक से भक्त आते हैं यहां
बखिरा झील के निकट भव्य मंदिर स्थित है। मंदिर में कई चमत्कार हुए हैं। यहां वर्षभर भक्तों द्वारा कार्यक्रम होते रहते हैं। नवरात्र में मंदिर गुलजार रहता है। यहां हर तीन वर्ष पर परावन का पूजा किया जाता है। परावन में रात में जागरण, कीर्तन, भजन आदि कार्यक्रम होते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त बकरा, मुर्गा, सूअर आदि की बलि चढ़ाते हैं। नेपाल से लेकर गोरखपुर व बस्ती मंडल के भक्त यहां जुटते हैं।
ऐसे पहुंचे मां दरबार
बखिरा-सहजनवां मार्ग पर बरईपार में मंदिर स्थित है। बखिरा से मंदिर की दूरी मात्र दो किमी है। गोरखपुर के सहजनवां से मां का दरबार 21 किमी है। यहां पहुंचने के लिए हर समय टैक्सी की सुविधा सुलभ रहती है। अनेक भक्त अपने निजी साधन से मंदिर पहुंचते हैं।
मंदिर में नित्य सफाई की जाती है। नवरात्र में भक्तों की संख्या को देखते हुए व्यापक प्रबंध किए गए हैं। भक्तों को कोई समस्या न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाता है। स्थानीय भक्तों के सहयोग से मंदिर में कार्यक्रम व सेवा कार्य चलता रहता है। - परशुराम सिंह, पुजारी।
मां के अनेक चमत्कार को हम लोगों ने देखा है। यहां पूजा करके सुख की अनुभूति होती है। मां की कृपा से परिवार खुशहाल है। नवरात्र में नियमित मंदिर आना होता है। माता के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता। - वेदप्रकाश सिंह, भक्त।