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एक एकड़ फसल बोई, पांच का प्रीमियम कटा

कोरोना काल में विकास भवन के सभागार में पहली बार हुआ किसान दिवस

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 11:49 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 11:49 PM (IST)
एक एकड़ फसल बोई, पांच का प्रीमियम कटा
एक एकड़ फसल बोई, पांच का प्रीमियम कटा

संतकबीर नगर : परियोजना निदेशक (पीडी) जिला ग्राम्य विकास अभिकरण (डीआरडीए) डीडी शुक्ल की अध्यक्षता में विकास भवन के सभागार में बुधवार को किसान दिवस का आयोजन किया गया। कोरोना महामारी के चलते पूर्व में इस दिवस के आयोजन पर रोक लगी रही। कोरोना काल में पहली बार आयोजित इस दिवस में किसानों ने समस्याएं रखी। अधिकारियों ने उसके निस्तारण का आश्वासन दिया। सेमरियावां ब्लाक के उमिला गांव के प्रगतिशील किसान सुरेंद्र राय ने कहा कि इस जनपद में 714 अग्रणी किसान हैं। उन्हें किसान दिवस में आने के लिए प्रतिमाह एक हजार रुपये भी मिलते हैं फिर भी ये किसान बैठक में क्यों नहीं आते। इस मामले में विभाग क्या करता है।

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जिला कृषि अधिकारी पीसी विश्वकर्मा ने कहा कि हम किसान दिवस में इनसे आने के लिए अनुरोध कर सकते हैं पर मजबूर नहीं। किसान सुरेंद्र राय ने कहा कि वह सिर्फ एक एकड़ में गन्ने की खेती किए हैं लेकिन किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) से पांच एकड़ का प्रीमियम कटता है। गन्ने की फसल बर्बाद होने पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कोई मुआवजा नहीं मिलता। इसलिए जिस फसल की क्षति पर मुआवजा मिले, उसी फसल का सर्वे कर उतने क्षेत्रफल का प्रीमियम ही बैंक खाते से काटा जाए। इस पर जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि कुछ किसान केसीसी का लिमिट बढ़वाने के लिए आलू, गन्ना आदि नकदी फसल करने का उल्लेख करते हुए खेत का डाटा देते हैं। इसकी वजह से यह स्थिति है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के जिला महासचिव रामदरश यादव ने कृषि विज्ञान केंद्र-बगही के विज्ञानी डा. अरविद सिंह से पूछा कि आप किसानों के पास कब जाते हैं। प्रदर्शनी लगने पर किसानों को क्यों नहीं बुलाया जाता। मिट्टी का नमूना लेने कब पहुंचते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग के जिम्मेदार उन्हीं किसानों को प्रशिक्षण देते हैं जो कर्मियों के चहेते होते हैं। किसानों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। किसी गांव में 30-40 पशु शेड दिया गया तो कई गांवों में एक भी भी नहीं। भाकियू नेता रमाशंकर यादव ने कहा कि किसान दिवस के बारे में कितने किसानों को सूचित किया गया। सरकार तो किसानों के साथ मजाक कर ही रही है, अधिकारी भी ऐसा ही कर रहे हैं। जिसने एक बकरी नहीं पाला है, उसे भी पशु शेड का लाभ दिया गया है, उनके पास इसका प्रमाण है। प्रधान कहते हैं हम जिसे चाहेंगे, उसे इसका लाभ देंगे। पीडी-डीआरडीए ने कहा कि पशु शेड में सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है। एक प्रकरण उनके संज्ञान में है। 1.20 लाख के पशु शेड में एक किसान ट्रैक्टर रखते हैं। जबकि इसका लाभ अनुसूचित जाति, गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले छोटे किसानों को मिलना चाहिए। जनार्दन मिश्र ने कहा कि यदि एक माह के अंदर नीलगाय व जंगली सुअर पर लगाम नहीं लगा तो जनपद के किसान वन विभाग के कार्यालय के पास आंदोलन करेंगे।


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