कमिश्नर की पहल पर शुरू हुआ था महोत्सव
संतकबीर नगर: महान संत कबीर की धरती मगहर में आयोजित होने वाले महोत्सव कभी बजट की कमी से तो कभी प्रशास
संतकबीर नगर: महान संत कबीर की धरती मगहर में आयोजित होने वाले महोत्सव कभी बजट की कमी से तो कभी प्रशासनिक अधिकारियों के निर्णय लेने में देरी से असर पड़ा। पूरे विश्व को शांति, समरसता और आपसी भाईचारा का संदेश देने वाली इस धरती पर आयोजित होने वाले महोत्सव पर आंच आती रही। ¨हदू व मुस्लिम ही नहीं अपितु सिख धर्म, कबीरपंथी लोगों की आस्था इस स्थल से जुड़ी हुई है। इसके बाद भी इसमें शासन व प्रशासन स्तर से होने वाली उदासीनता लोगों को चौंकाती रहीं।
अंग्रेजों के शासनकाल में मगहर में महोत्सव के आयोजन के लिए वर्ष 1932 में तत्कालीन कमिश्नर एससी राबर्ट ने पहल की थी, इसमें स्थानीय लोगों ने भी सहयोग किया था। महोत्सव के लिए कोई बजट की व्यवस्था नहीं थी। यह स्थिति कई वर्षों तक कायम रहीं। स्थानीय लोगों के अनुसार नगर पंचायत मगहर के लोगों ने इस धरती की महत्ता को देखते हुए वित्तीय सत्र 1955-56 में चंदा एकत्र कर खिचड़ी के अवसर पर दो दिवसीय मेला लगाया था, इसमें गांधी आश्रम के तत्कालीन मैनेजर पंडित राम नारायण चौबे, मुंशी शिव प्रसाद गुप्त, जगन्नाथ प्रसाद उर्फ जग्गू बाबू, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी माजिद अली की भूमिका महत्वपूर्ण रहीं। पहली बार सूबे के मुख्यमंत्री रहे मुलायम ¨सह यादव ने वर्ष 2004 यानी 14 साल पहले महोत्सव आयोजित करने के लिए 25 लाख रुपये देने की घोषणा की थी। इसके बाद से पर्यटन विभाग के जरिये यह राशि इस जनपद को महोत्सव आयोजन करने के लिए मिलती रहीं। वर्ष 2014 में मगहर महोत्सव आयोजन के लिए शासन से बजट नहीं मिला, लेकिन स्थानीय लोगों के सहयोग से इसका आयोजन हुआ, अभी तक यह बजट नहीं मिला। जबकि वित्तीय सत्र 2016-17 में तत्कालीन डीएम सुरेश कुमार के कार्यकाल में शासन से बजट मिला लेकिन विधानसभा चुनाव की तैयारियों में व्यस्त जिला प्रशासन ने इसमें रुचि नहीं दिखाई और यह बजट वापस शासन को लौटाना पड़ा। वहीं 2017-18 में तत्कालीन डीएम मार्कण्डेय शाही के कार्यकाल में मगहर महोत्सव के लिए बजट आया लेकिन देरी से। इसके कारण महोत्सव आयोजित नहीं हुआ।