व्यवहार का अंग बने ¨हदी
संतकबीर नगर : ¨हदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए लंबे समय से उठ रही मांग को लेकर जागरण द्वारा इसे लेकर
संतकबीर नगर : ¨हदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए लंबे समय से उठ रही मांग को लेकर जागरण द्वारा इसे लेकर ¨हदी कैसे बनेगी राष्ट्रभाषा प्रश्न के माध्यम से ¨हदीविदों की राय जानने का प्रयास किया गया ता कुछ इस तरह से सामने आया।
हीरालाल रामनिवास स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व प्रचार्य और ¨हदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा. अर्जुनराम त्रिपाठी ने कहा कि ¨हदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए राष्ट्रधर्म के परिप्रेक्ष्य में भारतीय सांसदों में निर्विकल्प संकल्प अनिवार्य है। इसके लिए प्रशासन, न्यायालय, चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा माध्यम ¨हदी को बनाया जाना चाहिए। शब्दावली को लेकर आने वाली समस्याओं का समाधान ¨हदी भाषा में निहित है। उन्होंने कहा कि अनुवाद वहीं तक स्वीकार्य किया जाय जो आमजन में प्रचलित हो। ¨हदी को व्यवहार जगत में स्थापित करने के लिए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रभावी भारतीय संस्कृति के ऐतिहासिक मर्मस्पर्शी और तथ्यग्राही भावनात्मक संदर्भों को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाय।उन्होंने कहा कि भावनात्मक जुड़ाव से ही ¨हदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने में सफलता मिलेगी।इसे लेकर सिर्फ ¨हदी दिवस पर कार्यक्रमों के आयोजन मात्र से ही नहीं बल्कि व्यवहार में उतारने के लिए नीति बनाकर अमल करने की आवश्यकता है। हीरालाल रामनिवास स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रवक्ता डा. पूर्णेश नारायण ¨सह ने कहा कि ¨हदी को सरकारी के साथ ही गैर सरकारी कार्यालयों में पत्र-व्यवहार की भाषा के रूप में प्रयोग करने के लिए अनिवार्यता करने के साथ ही व्यावहारिक जीवन में इसे शामिल करना होगा। शब्दकोश के मामले में दुनिया की सभी भाषाओं से समुन्नत ¨हदी भाषा के माध्यम से व्यक्ति अपने मौलिक विचारों को सहजता से व्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि प्रयोग को बढ़ावा दिए जाने से ही ¨हदी भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने में सफलता मिल सकती है। उन्होंने कहा कि सरकारी के साथ ही स्वयंसेवी संस्थाओं का भी सहयोग इस दिशा में लिया जाना चाहिए। पूर्व प्रधानाचार्य हीरालाल त्रिपाठी ने कहा कि भारत वर्ष विभिन्न धर्म और संस्कृतियों के सम्मिश्रण वाला देश है। इसको ध्यान में रखकर इनसे जुड़े शब्दों को मूलरूप में ¨हदी को अपने में समाहित करना होगा। विभिन्न संस्कृतियों भाषाओं और वेशभूषा के बावजूद भी अपनी भाषा और संस्कृति तथा राष्ट्र की उन्नति के लिए सभी को एकजुट होकर प्रयास करना होगा। इंटरनेट के माध्यम से ¨हदी के प्रसार के लिए भी विशेष कार्य किए जाने की आवश्यकता है। ¨हदी के विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय नागरिकता को मोह त्यागकर निज भाषा और संस्कृति के प्रति आकर्षण पैदा करने की विशेष आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया के अनेक देशों में ¨हदी भाषा के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा है इसे सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए सहयोग भी होना चाहिए। उन्होंने राजनैतिक स्तर से भी ¨हदी के विकास को लेकर प्रयास किए जाने को महत्वपूर्ण बताया। एचआर इंटर कालेज के प्रधानाचार्य डा. रामकुमार ¨सह ने कहा कि ¨हदी अपनी सरलता के कारण सभी की प्रियभाषा है। पाश्चात्य संस्कृति के कुप्रभावों से समाज में ¨हदी का प्रयोग कम हो रहा है। ¨हदी के विकास के लिए शिक्षा के क्षेत्र से ही अभियान का आरंभ किया जाना चाहिए। विज्ञान और गणित की कुछ शब्दावलियों को मूल रूप में ही प्रयोग करने की लोच पैदा करने से इस दिशा में विशेष लाभ प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि ¨हदी को शिक्षा का माध्यम बना दिए जाने से इसका अपेक्षित विकास संभव है। घरेलू परिवेश से लेकर सरकारी स्तर पर ¨हदी भाषा का प्रयोग करने को अनिवार्य करना भी आवश्यक है। सामाजिक संगठनों के माध्यम से ¨हदी की काव्य गोष्ठियों के आयोजन को भी बढ़ावा दिया जाना इस दिशा में कारगर सिद्ध होगा। समय के साथ शब्दकोश के परिवर्तन की स्वीकार्यता और जागरूकता कार्यक्रमों के आयोजन पर उन्होंने विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि वैसे भी देश के सबसे अधिक आबादी द्वारा बोली जाने वाली भाषा ¨हदी ही है इसे राष्ट्रभाषा बनाने के लिए थोड़े ही प्रयास और सरकारी पहल की आवश्यकता है।