काल डिटेल से टेरर फंडिग का नेटवर्क तलाश रही एटीएस
संतकबीर नगर आतंकवाद निरोधक दस्ता ( एटीएस ) रोहिग्या अजीजुल हक के बैंक अकाउंट व मोबाइल के काल डिटेल के जरिए टेरर फंडिग का नेटवर्क का तलाश कर रही है। बखिरा क्षेत्र के नौरो गांव में पहचान बदलकर रहने वाले अजीजुल को संरक्षण देने वाले नेता की भी खोज की जा रही है।
संतकबीर नगर: आतंकवाद निरोधक दस्ता ( एटीएस ) रोहिग्या अजीजुल हक के बैंक अकाउंट व मोबाइल के काल डिटेल के जरिए टेरर फंडिग का नेटवर्क का तलाश कर रही है। बखिरा क्षेत्र के नौरो गांव में पहचान बदलकर रहने वाले अजीजुल को संरक्षण देने वाले नेता की भी खोज की जा रही है।
एटीएस ने बघौली ब्लाक के कुछ अधिकारियों से भी पूछताछ की है। पूछताछ में महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं। एटीएस की गतिविधि को लेकर गांव में सन्नाटा है। कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
फर्जी कागजात के दम पर राशन कार्ड समेत अन्य दस्तावेज बनवाने में मदद करने वाले भी एटीएस की रडार पर हैं। जिसमें एक जिला पंचायत सदस्य के साथ ही एक पूर्व प्रधान ने भी सहयोग किया है। हालांकि जिला पंचायत सदस्य व पूर्व प्रधान को एटीएस अभी पकड़ नहीं सकी है। दोनों नेता भूमिगत हो गए हैं।
बता दें कि वर्ष 2001 में बांग्लादेश के रास्ते भारत में आने के बाद अजीजुलहक ने संतकबीर नगर जिले के नौरो गांव निवासी बदरे आलम के बेटे के रूप में फर्जी दस्तावेज बनवाया था। इसके बाद वर्ष 2017 में वह अपनी मां, बहन तथा दो भाइयों जियाउलहक और मोहम्मद नूर को भी भारत ले आया और उनके भी फर्जी दस्तावेज तैयार कराए। बदरे आलम ने बताया कि अजीजुल हक उसका रिश्तेदार नहीं है। उसने अनाथ समझकर उसकी मदद की थी। हालांकि एटीएस उसकी और उसके बेटे की भूमिका की जांच कर रही है। बदरे आलम ने बताया कि उसका बेटा मुंबई में रहता है। अजीजुलहक उसी के माध्यम से संपर्क में घर आया था।फर्जी कागजात कब बनवाया इसकी जानकारी मुझे नहीं हैं।