बिना परिसीमन कैसे बढ़ीं 14 ग्रामपंचायतें
सेक की सूची में जनपद में 808 ग्राम पंचायतें हैं। जबकि पंचायतीराज विभाग की सूची में 794 ग्राम पंचायतें हैं। बगैर परिसीमन के कैसे सेक की सूची में 14 ग्राम पंचायत बढ़ गए। इसका संतोषजनक जवाब जिले के अधिकारियों के पास नहीं है।
संतकबीर नगर: जिस सामाजिक-आर्थिक-जातिगत जनगणना (सेक) की सूची के आधार पर गांवों के गरीबों को प्रधानमंत्री आवास दिया जा रहा है, उसमें एक नहीं अपितु अनेक गड़बड़ियां हैं।
सेक की सूची में जनपद में 808 ग्राम पंचायतें हैं। जबकि पंचायतीराज विभाग की सूची में 794 ग्राम पंचायतें हैं। बगैर परिसीमन के कैसे सेक की सूची में 14 ग्राम पंचायत बढ़ गए। इसका संतोषजनक जवाब जिले के अधिकारियों के पास नहीं है। सेक की सूची को देखकर लोग चौंक जा रहे हैं।
वर्ष 2011 में कर्वी एजेंसी ने सर्वे किया था। वर्ष 2016 में सेक की सूची का प्रकाशन हुआ था। इस सूची में जनपद में 808 ग्राम पंचायतें और 1,728 राजस्व गांव हैं। जिले में 2,58,548 परिवार हैं। इसमें ग्रामीण क्षेत्र में 2,43,670 वहीं शहरी क्षेत्र में 14,878 परिवार हैं। वहीं पंचायतीराज विभाग के आंकड़ों पर गौर करने पर पाएंगे कि जनपद में कुल 794 ग्राम पंचायत और 1,718 राजस्व गांव हैं। जिला पूर्ति कार्यालय के आंकड़ों में इस जनपद में कुल 3,58,000 परिवार हैं। इसमें ग्रामीण क्षेत्र में 3,29,000 और शहरी क्षेत्र में 29 हजार परिवार हैं। बहरहाल जनपद में ग्राम पंचायतों, राजस्व गांवों, परिवारों की संख्या के इस आंकड़े को देखकर चौंक जा रहे हैं।
सेक की सूची में बगैर परिसीमन के सेमरियावां ब्लाक में मदारपुर, नौवाडीह व सिसवामाफी, हैंसर बाजार ब्लाक में कोड़रा, नाथनगर ब्लाक में बसहिया, जसवर, कुरसुरी व करह्वी, पौली ब्लाक में अतरौलिया व गौराडीह, खलीलाबाद ब्लाक में भरौहिया, भिउरा व सराही तथा मेंहदावल ब्लाक में अमरडोभा सहित 14 ग्राम पंचायत बढ़ गए हैं। जबकि धरातल पर इस नाम से कोई ग्राम पंचायत नहीं है।
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कर्वी एजेंसी ने सामाजिक-आर्थिक-जातिगत जनगणना की थी। इस एजेंसी के कर्मियों की लापरवाही से इसकी सूची में गड़बड़ियां हैं। ग्राम पंचायतों, राजस्व गांवों, परिवारों की संख्या में अंतर है। गलतियों को यहां से ठीक नहीं किया जा सकता है। केंद्र स्तर से ही यह सही हो सकता है।
प्रमोद कुमार यादव, परियोजना निदेशक
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सिर्फ यहीं नहीं बल्कि प्रदेश के विभिन्न जिलों की सेक की सूची में गड़बड़ियां सामने आई हैं। कर्वी एजेंसी के कर्मियों की गलती से ऐसा हुआ है। इस खामी को सुधारने के लिए कई बार शासन को पत्र भेजा गया है।
एनके सिंह, जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी
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सेक की सूची की खामियों को दूर करने के लिए प्रयास जारी है। शासन और केंद्र के स्तर से ही इसमें सुधार संभव है।
अतुल मिश्र, सीडीओ