92 वर्ष के इस्माइल को रहता है रमजान का इंतजार
नगर के जारई गेट निवासी 92 वर्षीय बुजुर्ग हाजी अब्दुल मोहम्मद इस्माईल सेवानिवत्त कर्मचारी है।
चन्दौसी : रमजान के पाक महीने में मुसलमानों का रोजा रखना आम हैं, लेकिन नगर के जारई गेट निवासी 92 वर्षीय बुजुर्ग हाजी अब्दुल मोहम्मद इस्माईल सेवानिवृत्त कर्मचारी है वह अपने पक्के इरादों के बूते रोजा रखने के मामले में सबके लिए मिशाल बने हुए हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी रोजा रख रहे हैं हाजी मोहम्मद इस्माईल वह लगभग 80 वर्षो से रोजा रखते हुए आ रहे हैं। वह अपने बच्चों के साथ घर पर ही रहते हैं कभी-कभी रिश्तेदारों के पास घुमने चले जाते हैं। रमजान में नमाज के वक्त नगर के जारई गेट स्थित बड़ी मस्जिद में जब इनसे मुलाकात हुई, इस दौरान वह तरावीह पढ़ रहे थे। पढ़ने के बाद उनसे पूछने पर उन्होंने बताया कि इस उम्र में भी रोजे और पांच वक्त की नमाज के पूरी पाबंदी के साथ अदा करते हैं और रात को तरावीह भी पढ़ते हैं, हर रमजान में रोजा रखने और नमाज की पाबंदी के चलते ही शायद अल्लाह ने उनको इस उम्र में भी नूर बख्शा है कि वह सारा काम आज भी अपने आप ही करते हैं और बिना किसी की मदद के कलामें पाक की तिलावत करते हैं, इसी के चलते सुबह तीन बजे उठ जाते हैं। इसके बाद सेहरी फिर नमाज उसके बाद पूरे दिन नमाज इबादत के साथ अफ्तारी और तराबिया करने के बाद रात को 11:30 बजे सोते हैं। कई बार हज यात्रा कर अब्दुल मोहम्मद इस्माईल बच्चों को दीन तालिम के लिए मदरसा बनवाना चाहते हैं। बातचीत के दौरान हाजी मोहम्मद इस्माईल ने अंत में कुछ इस तरह अपने अंदाज में कहा कि न हज की तमन्ना न उम्र की ख्वाहिश, तुरबत मेरी बन जाए शहर एक मदीना में.. कहते हुए अपनी छड़ी के सहारे हाजी मोहम्मद इस्माइल तेज कदमों से मस्जिद से निकल गए।
इनसेट-
डेढ़ घंटे खड़ा रहते है हाजी मोहम्मद इस्माइल:
चन्दौसी: पांच वक्त की नमाज के बाद रात को मस्जिद में ताराबियां पढ़ी जाती है जिसमें रोजेदार को पूरी तरह डेढ़ घंटे खड़ा रहना पढ़ता है। इसी क्रम में हर दिन अन्य नौजवानों की भांति हाजी मोहम्मद इस्माइल रात को तराबियां पढ़ने के लिए मस्जिद में जाते हैं। जहां डेढ़ घंटे खंडे होकर ताराबियां पढ़ते हैं।
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