मांसपेशियां और कॉर्टिलेज क्षतिग्रस्त कर रहा बाइक की रफ्तार का ब्रेक
फास्ट बाइकिंग का शौक युवाओं की मांसपेशियां और कार्टिलेज क्षतिग्रस्त कर रहा हैं। तेज रफ्तार में अचानक ब्रेक लगने से वह माइक्रोट्रोमा की चपेट में आ रहे हैं।
सम्भल ( सौरभ सक्सेना )। फास्ट बाइकिंग युवाओं का शौक है लेकिन अगर यह रोजाना का नियम बन जाए तो सावधान होने की जरूरत है। बाइक की यह तेज रफ्तार और अचानक लगने वाले ब्रेक शरीर को माइक्रोट्रोमा (सूक्ष्म चोट) की चपेट में ला रहे हैं। इससे मांसपेशियां और कार्टिलेज लगातार क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। इसका अहसास व्यक्ति को एकदम नहीं होता। वास्तव में इसका असर शरीर पर धीरे- धीरे होता है। समस्या तभी पैदा होती है।
केस-1 -मुहल्ला लक्ष्मनगंज निवासी जाहिद के लगभग तीन सप्ताह से सीधे पैर में दर्द है। दर्द जब बर्दाश्त से बाहर हो गया तो किसी की सलाह पर उन्होंने फिजियोथैरेपिस्ट को दिखाया। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उनके पैरों की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो गई हैं। लगातार ज्यादा दूरी तक तेज बाइक चलाने और एकदम से ब्रेक लेने के कारण यह स्थिति पैदा हुई। धीरे-धीरे पैर के सॉफ्ट टिश्यूज क्षतिग्रस्त हो गए। इसका नतीजा लंबे समय तक लगातार रहने वाले पैर दर्द के रूप में सामने आया। दो सप्ताह से उनका इलाज चल रहा है। इस दौरान उन्होंने बाइक चलाना बंद करना पडा । दो सप्ताह से चल रहे इलाज के बाद कुछ बेहतर महसूस कर रहे हैं।
केस-2 - गोलागंज निवासी बब्बू के दोनों कूल्हों में तेज दर्द उठा, जो लगातार बढ़ता ही गया। उन्होंने डॉक्टर को बताया कि कुछ दिन पहले वह बस में यात्रा कर रहे थे। ड्राइवर द्वारा अचानक ब्रेक लेने से तेज झटका लगा था। इसके अलावा बाइक चलाते समय अक्सर ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि अचानक ब्रेक लेने पड़ते हैं। डॉक्टर के मुताबिक अचानक ब्रेक लेने से लगे झटके के कारण पूरे शरीर को भार उनके कूल्हों की मांसपेशियों पर आ गया। इससे उनके लिंगामेंट्स क्षतिग्रस्त हो गए और दर्द रहने लगा है।
ये दो केस महज दो लोगों की समस्या लगते हैं। वास्तव में यह परेशानी काफी आम हो चुकी है। पहले इसका पता नहीं चलता लेकिन जैसे जैसे समय बीतता है तब यह निरंतर दर्द और परेशानी का कारण बनता है। तब तेज रफ्तार तो दूर बाइक चलाना भी छूट जाता है। दर्द और दवा अलग से शरीर और जेब पर भार बनते हैं।
क्या है कारण-
चन्दौसी में सीनियर फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. वाजिद अली बताते हैं कि बाइक पर सवार व्यक्ति की मांसपेशियां तनाव में रहती हैं। ऐसे में तेज रफ्तार में अचानक ब्रेक लगने से पैदा हुए झटके के कारण ये चोटिल हो जाती हैं साथ ही शरीर का शॉकर कहा जाने वाला कार्टिलेज क्षतिग्रस्त हो जाता है। इसे चिकित्सकीय भाषा में सॉफ्ट टिश्यूज इंज्युरी कहा जाता है। इसका पता व्यक्ति को एकदम नहीं चलता, लेकिन समय के साथ साथ समस्या बढ़ती जाती है और गर्दन, पीठ, हाथ, पैर आदि में दर्द समेत कई परेशानियां शुरू हो जाती हैं। वह बताते हैं कि सर्दी के मौसम में इस बात का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। इस मौसम में खून कुछ गाढ़ा होकर नसों में अवरोध पैदा करने लगता है। ऐसे में यदि शरीर की अवस्था में अचानक परिवर्तन होता है तो मांसपेशियां चोटिल हो जाती हैं। इससे पीठ के प्रभावित होने पर स्लिप डिस्क की समस्या भी हो सकती है। इससे बचने के लिए सही पोजिशन में बैठकर बाइक चलानी चाहिए। हाथों तथा कमर को यथासंभव सीधा रखें। वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग तो भूलकर भी न करें क्योंकि अचानक झटका लगने पर यह भयंकर समस्या का कारण बन सकता है।
कार और बस में भी रखें ध्यान
चन्दौसी: डॉक्टर कहते हैं कि केवल बाइक पर ही नहीं बल्कि बस और कार में सफर करते वक्त भी अचानक लगने वाले झटके से सावधान रहना चाहिए। आजकल चालक तेज रफ्तार में बस या कार चलाते हैँ। ऐसे में अचानक किसी के सामने आ जाने के कारण अचानक ब्रेक लेने पड़ जाते हैं। इसके अलावा स्पीड ब्रेकर के आने पर वाहन ऊंचा उछल जाता है। अचानक उछलने और फिर नीचे गिरकर बैठने से कूल्हे, पीठ और गर्दन की मांसपेशियों पर जोर पड़ता है और उनमें झटका आने की संभावना रहती है।
बाइक पर स्टंट...न बाबा न
चन्दौसी: आज के युवाओं में तेज रफ्तार तो पैशन है ही, लेकिन वे सड़कों पर स्टंट करने से भी नहीं चूकते। लहराकर बाइक चलाना, बाइक चलाते समय लेगगार्ड पर पैर रख लेना, खड़े होकर राइडिंग करना आदि स्टंट दिखाकर युवा सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं। डॉ. वाजिद ये तो और ज्यादा खतरनाक है। एक्सीडेंट होने के खतरे के अलावा इसमें शरीर की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त होने का खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है।
वाहन चलाते वक्त ये रखें सावधानी
- लगातार लंबी दूरी तक वाहन न चलाएं। यदि ऐसा करना जरूरी हो तो बीच-बीच में थोड़ा थोड़ा रुककर हल्की एक्सरसाइज कर लें।
- वाहन की स्पीड यथासंभव कम रखें। गड्ढा या स्पीड ब्रेकर होने पर हल्के ब्रेक लें।
- शारीरिक व्यायाम को नियमित दिनचर्या में शामिल करें। इससे मांसपेशियां मजबूत रहती हैं।
- विटामिन- डी तथा कैल्शियम वाले खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें। सुबह की धूप विटामिन-डी का अच्छा स्रोत हैं।
- कमर, पीठ या गर्दन में दर्द होने पर तत्काल चिकित्सक से जांच कराएं।
- शरीर में होने वाली अकड़न को थकान समझकर अनदेखा न करें।