अपनी न परिवार की फिक्र, कोरोना को हराने का जुनून
बहजोई जनपद में पिछले चार दिनों से प्रवासी मजदूरों की बाढ़ सी आ गई है।
हमारे योधा का लोगो::: महामारी के विरुद्ध जंग में दो माह से नहीं जा सके अपने घर चिकित्सक
जागरण संवाददाता, बहजोई: जनपद में पिछले चार दिनों से प्रवासी मजदूरों की बाढ़ सी आ गई है। ऐसे में हर व्यक्ति की थर्मल स्क्रीनिग करना, कोरोना संदिग्धों की पहचान करना, फिर उन्हें क्वारंटाइन करना, यह स्वास्थ्यकर्मियों का अनवरत चलने वाला कार्य है। इन स्वास्थ्यकर्मियों के चेहरे पर न तो थकान है और न हाथों में शिथिलता। पिछले दो महीने से ये योद्धा जंग के मैदान में रात-दिन डटे हुए हैं। इनकी जिद और जुनून कोरोना को हराना है। इन्हें न तो खाने की फिक्र है और न सोने की।
सीएचसी प्रभारी चिकित्सक डॉ. बीएल बिराटिया पिछले मार्च माह से अपने बच्चों से नहीं मिले हैं। फोन पर बातचीत भी कम हो पा रही है, लेकिन उनके लिए मरीजों की सेवा पहले है। सीएमओ कार्यालय में तैनात स्टेनो सचिन कुमार रघुवंशी ने बताया कि घर में अकेली मां रहती है। लॉकडाउन की शुरुआत से वह घर नहीं जा सके हैं। उन्हें मां के स्वास्थ्य की फिक्र है। फोन ही एक सहारा है जिस पर मां से हाल-चाल जान लेते हैं। अब वह जिले को कोरोना वायरस मुक्त करके ही घर जाएंगे। कोरोना काल के दौरान सीएमओ कार्यालय के नियमित कार्यों के अलावा कोरोना की रिपोर्ट बनवाने के लिए उच्च अधिकारियों का सहयोग तथा पत्राचार में सहयोग कर रहे देवराज श्रीवास्तव, राहुल वाष्र्णेय, संचित शर्मा का कहना है कि वह लगभग दो महीने से बिना छुट्टी लिये लगातार कार्यालय में सुबह दस बजे से लगभग रात के 11 बजे तक कार्य करते आ रहे। घर पहुंचने पर पत्नी द्वारा हाथों को सैनिटाइजर कराया जाता है, उसके बाद नहाकर ही अपने बच्चों से बातचीत कर पाते हैं। रात को देर होने पर अक्सर बच्चे सो जाते हैं। अब चाहे जो भी हो कोरोना वायरस को हराकर ही दम लेगें।