सम्भल के दम तोड़ते जूता उद्योग को चाहिए आधुनिक तकनीक और सरकारी मदद का सहारा Sambhal
जनप्रतिनिधि और अधिकारियों द्वारा भी सरायतरीन के इस दशकों पुराने कारोबार पर ध्यान देने से यह रसातल की ओर जा रहा है।
सम्भल, जेएनएन। उपनगरी सरायतरीन में आजादी के समय से हो रहा जूते का कारोबार किसी जमाने में ऊंचाई पर था लेकिन, आधुनिक दौर मेें यह कारोबार हाईटेक तकनीक के आगे टिक नहीं पा रहा है। धीरे-धीरे हस्त निर्मित जूता उद्योग रसातल की ओर जा रहा है।
डिमांड में भी कमी
मुहल्ला शाहजीपुरा इसी कारोबार से मशहूर है। आज भी यहां पर बड़े पैमाने पर जूता चप्पल बनाने का कारोबार हो रहा है लेकिन, अब पुराने दौर की रौनक नहीं बची है। हाईटेक तकनीक के आगे हस्त निर्मित जूते के निर्माण में लागत अधिक आ रही है और डिमांड दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। ऐसे में इस उद्योग से जुड़े लोगों का मोह भंग हो रहा है। हस्त निर्मित जूता उद्योग नई तकनीकी जानकारी के अभाव में बाजार में नहीं टिक पा रहा और उसका स्थान अब दिल्ली से आने वाले हाईटेक तकनीक से बने लेदर व रेक्सीन उद्योग ने ले लिया है।
नए डिजाइन पड रहे भारी
नई-नई डिजाइन के आइटम यहां की पुराने डिजाइन पर भारी पडऩे लगे हैं। महंगाई के चलते यहां का यह कुटीर उद्योग आर्टिफिशियल लेदर के रेडीमेड आइटम पर निर्भर होता जा रहा है। कारीगर नई तकनीक के बारे में सीख नहीं पा रहे है और न ही नई पीढ़ी हाथ से चमड़े का जूता बनाने में रुचि ले रही है।
कलस्टर खुले तो चमड़े के कारोबार की हो तरक्की
लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कलस्टर योजना शुरू की गई है लेकिन, यहां यह योजना अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। जबकि यहां पर हस्त निर्मित चमड़ा उद्योग से लगभग पांच हजार लोग जुड़े हुए है। कलस्टर के न होने यहां के कारीगर सरकारी योजनाओं से वंचित है।
आर्टिफिशियल लेदर के जूते मजबूत नहीं होते। अगर सरकार यहां के चमड़ा उद्योग को मदद करे तो यह कारोबार चमक सकता है। वहीं जनप्रतिनिधियों को भी इस लघु उद्योग की ओर ध्यान देना चाहिए।
जीतू
दिल्ली से आने वाले आर्टिफिशियल लेदर के आइटम के मुकाबले हाथ से बने चमड़े के कारोबार पर प्रभाव पड़ा है क्योंकि चमड़ा आसानी से उपलब्ध नहीं हो रहा।
राकेश
आधुनिक मशीनों के आ जाने से हमारे यहां के कारोबार पर असर पड़ा है। मशीन से 1 दिन में कई तरह के डिजाइन के जूते चप्पल तैयार किए जा सकते हैं, जो हाथ से संभव नहीं है।
हंसराज
उद्योग को तरक्की पर ले जाने के लिए ऋण मुहैया हो। क्लस्टर हाउस बने। एक ही छत के नीचे आर्टिफिशियल लेदर उपलब्ध होने से कारोबार की तरक्की होगी।
नरेंद्र
जूता उद्योग को बढ़ाने के लिए जो भी जरूर संसाधन हैं, वो मुहैया कराएं जाएंगे। इस उद्योग से जुड़े लोगों से बातचीत कर उनकी समस्याएं भी दूर की जाएंगी। इसके लिए जरूरत पड़ी तो शासन को पत्र लिखकर मदद ली जाएगी।
अमित मोहन मिश्रा, उपायुक्त उद्योग, सम्भल
उपायुक्त उद्योग, सम्भल।