जिसको जहरा ने दुआ दी वो अजादार हुआ
आंधिया चीख रही है के चरागों से बचाओ, करबला कौन से लहजे में तेरा वार हुआआंधिया चीख रही है के चरागों से बचाओ, करबला कौन से लहजे में तेरा वार हुआ
सिरसी: मशहूर मातमी अंजुमन अंजुमने हुसैनी की वार्षिक तरही शब्बेदारी का आयोजन 29 को इमामबारगाह इमाम रजा में किया गया जिसमें लगभग डेढ़ दर्जन मातमी अंजुमनों ने अपने - अपने शायरों के कलाम पेश कर वाहवाही हासिल की। शब्बेदारी से पूर्व आयोजित मजलिस में नसीमुल हसन व उनके साथियों ने मर्सिया ख्वानी की और मजलिस को मौलाना मुशीर हुसैन नकवी ने खिताब फरमाया। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन (अलैह) ने करबला में इंसानियत का पैगाम दिया और मुसीबतों में भी सब्र किया । मजलिस के बाद शब्बेदारी का शुभारंभ हुआ।अंजुमनों ने अपने कलाम प्रस्तुत किये।
अंजुमन जुल्फकारे हैदरी ने कहा कि मंजिले जब्त में था वरना उल्ट देता जमीं। अंजुमन गोहरे अजा ने कहा आंधियां चीख रही है के चरागों से बचाओ, करबला कौन से लहजे में तेरा वार हुआ। अंजुमन हैदरी ने कहा हमने बढ़ बढ़ के लगाया है गले तेगो को, मौत का जायका कुछ इतना मजेदार हुआ। अंजुमन गुन्चए इस्लाम ने कहा - हाथ मातम को उठा साहिबे किरदार हुआ, जिसको जहरा ने दुआ दी वो अजादार हुआ। अंजुमन गुलदस्ते हैदरी ने कहा खुश्क होठों से तबस्सुम का जो एक वार हुआ, लश्करे जुल्म मुसीबत में गिफ्तार हुआ। अंजुमन रौनकें अजा ने कहा- हार खंजर की हुई और बहत्तर जीते , नोके नेजा से यह एलान कई बार हुआ। अंजुमन फैजे पंजेतन ने कहा - शुक्रिया नेहजे बलागा का अदा हो कैसे, मशवरा चारो किताबों में कई बार हुआ। अंजुमन बहारे अजा ने कहा- करबला है तेरी आगोश में हर नस्ल का फूल, ऐसा गुलदस्ता रसूलों से न तैयार हुआ। इसके अतिरिक्त अंजुमन दास्ताने करबला, सफीना ए अजा,मीसमे अजा, दिलदारे हुसैनी , हाशमी आदि ने अपने कलाम प्रस्तुत किये। पूरी रात हुई शब्बेदारी में हजारों अजादारों ने अंजुमनों की हौसला अफजाई की समापन से पूर्व अंजुमन के दिवंगत सदस्यों के लिये सूरए फातेहा पढ़ी गई। अंजुमन हुसैनी की ओर से सभी का शुक्रिया अदा किया गया।