स्वस्थ रहने को व्यायाम जरूरी : सारिका
जागरण संवाददाता, सम्भल: आज हमारे बच्चों पर पाश्चात्य संस्कृति का भारी प्रभाव देखने को मिलता है। इसमें कोई बुराई नहीं है, बशर्ते हम उनसे परिश्रम करना, समय का प्रबंधन व लक्ष्य के प्रति केंद्रित रहना सीखें। उन्होंने कहा कि जहां तक बात हमारे संस्कारों की है तो पढ़ाई-लिखाई के साथ विद्यार्थियों का संस्कार संपन्न होना भी जरूरी है।
सम्भल : आज हमारे बच्चों पर पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव देखने को मिलता है। इसमें कोई बुराई नहीं है, बशर्ते हम उनसे परिश्रम करना, समय का प्रबंधन व लक्ष्य के प्रति केंद्रित रहना सिखाएं। उन्होंने कहा कि पढ़ाई-लिखाई के साथ विद्यार्थियों को संस्कारित करना भी जरूरी है।
शहर के होली सूफा पब्लिक स्कूल में दैनिक जागरण अभियान के तहत संस्कारशाला कार्यक्रम का आयोजन हुआ। छात्र- छात्राओं को संबोधित करते हुए शिक्षिका सारिका शर्मा ने कहा कि मनुष्य तभी सुखी रह सकता है, जब उसका शरीर स्वस्थ हो। स्वस्थ शरीर के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना आवश्यक है। इससे शारीरिक सुखों के साथ-साथ मनुष्य को मानसिक संतुष्टि भी मिलती है और मन भी हमेशा उत्साहपूर्ण बना रहता है। अस्वस्थ व्यक्ति न अपना कल्याण कर सकता है और न ही अपने परिवार का। वह न समाज की उन्नति कर सकता है न देश की। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। देश का निर्माण और उन्नति होना वहां के नागरिकों पर निर्भर करता है। इन दोनों ही क्रमों में शरीर का स्थान प्रथम है। स्वस्थ तन के बिना मनुष्य न तो देश की रक्षा कर सकता है और न अपनी मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति कर सकता है। जो लोग स्वास्थ्य रक्षा के लिए व्यायाम करते हैं वे जीवन भर स्वस्थ रहते हैं और वृद्धावस्था में भी उन्हें रोग नहीं सताते। व्यायाम करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि शरीर के सभी अंग प्रत्यांगों का व्यायाम हो। व्यायाम करते समय मुंह से सांस कभी नहीं लेना चाहिए, सदा नाक से श्वांस लेना चाहिए।
कोट--
गांधी जी ने हमें जीवन में संस्कारों का महत्व समझाया था। आज उन्हीं संस्कारों के साथ बच्चों को बेहतर भविष्य की राह पर ले जाने की जरूरत है। हमें इस दिशा में कदम बढ़ाना होगा और इसी से हमारी आने वाली पीढ़ी अच्छे संस्कारों को आत्मसात करेगी। परिजनों को भी बच्चों को बचपन से ही अच्छे संस्कार देने चाहिए। जिससे वह गलत संगति में न जा सके।
डा. एस. के. बलदेव, प्रधानाचार्य