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    बदलती फिजां, लौटता भरोसा: संभल में सामाजिक सद्भाव की नई शुरुआत, पलायन करने वालों को मिली अपनी जमीन

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 04:02 PM (IST)

    दंगों के बाद संभल में कानून व्यवस्था सुधरी, जिससे लोगों का भरोसा बढ़ा है। न्यायिक जांच के बाद कई लोगों को कब्जाई जमीनें वापस मिलीं। पलायन किए परिवार अब शहर लौटने का मन बना रहे हैं। शहर में सामाजिक सद्भाव और सुरक्षित माहौल लौट रहा है।

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    फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, संभल। दंगों ने शहर में सामाजिकता का काफी पतन किया था। पहले यहां पर हिंदू-मुस्लिम काफी आपसी भाईचारे के साथ रहा करते थे लेकिन, समय-समय पर हुए दंगे व हिंसा में नफरत की आग जली। फिर हिंदू-मुस्लिम अलग-अलग मंच पर आए। लेकिन, पिछले एक साल की बात करें तो अब शहर की फिजां में बदलाव देखने को मिला है।

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    जो, माहौल की वजह से संभल को छोड़ने का मन बनाते थे। वो, अब यही पर रहने का निर्णय कर चुके हैं। क्योंकि संभल बदल रहा है और सुरक्षित माहौल होता जा रहा है। जो लोग शहर छोड़कर गए हैं। उनके मन में संभल का नजरिया बदला है। दरअसल, दंगों की वजह से बहुत से घर-परिवार बिखरे हैं। जहां जन्मे थे, वो स्थली छोड़नी पड़ी।

    अनिल रस्तोगी ने परिवार समेत संभल में घर-जमीन छोड़ी और मुरादाबाद आकर रहने लगे। मुहल्ला ठेर से दंगे के बाद सभी परिवार यहां से पलायन कर गए थे। मगर, अब इनमें आस जगी है। हिंसा के बाद जांच को पहुंचाने वाले न्यायिक आयोग के सामने भी बहुत लोग ऐसे सामने आए। जिन्होंने संभल में अपनी संपत्ति होने का हवाला दिया। उन्हें मिली भी है।

    कानून व्यवस्था में सुधार होने के बाद लोग कई साल बाद संभल आए हैं। उनसे मुस्लिम मित्रों ने भी लौटने की अपील की है। हालांकि, अभी वह बसने का निर्णय नहीं कर सके हैं। शहर के लोगों की बात मानें तो एक साल में सामाजिकता की भावना सामने आई है। दोनों संप्रदाय के लोग आपस में बातचीत के साथ जिंदगी को जी रहे हैं। हिंदू संप्रदाय के लोगों में आत्मविश्वास बढ़ा है।

    वह अपने कार्यक्रमों को बेहतर ढंग से करते आ रहे हैं। मुस्लिम भी तालमेल के साथ रह रहे हैं। इतना ही नहीं संभल में सुरक्षा की दृष्टि से उठाए गए कदमों की वजह से भय का माहौल भी खत्म हुआ है। इसलिए लोगों के मन में अब संभल के प्रति नजरिया बदला है। शहरवासी कहते हैं कि बहुत लोग ऐसे थे जो, संभल को छोड़ने का मन बना रहे थे। मगर, अब बदलते संभल को देखते हुए उन्होंने यही पर रहने का निर्णय लिया है।

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