थ्री इडियट मूवी से सीख लें अभिभावक: डीएम
सम्भल : वर्तमान समय प्रतियोगिता का है। आज के दौर में अभिभावक अपने बच्चों के लिए ¨चतित तो हैं लेकिन उ
सम्भल : वर्तमान समय प्रतियोगिता का है। आज के दौर में अभिभावक अपने बच्चों के लिए ¨चतित तो हैं लेकिन उनके दिए टारगेट के अनुसार तमाम बच्चे पढ़ नहीं पाते। कोई बच्चा डॉक्टर बनना चाहता है तो माता-पिता की जिद इंजीनियर बनाने की होती है। कोई वैज्ञानिक बनने का सपना मन में पाले रहता है तो माता-पिता डॉक्टर उसे बनाना चाहते हैं। यह दबाव ही बच्चों के मानसिक विकास को रोकता है। आखिरी में सब के सामने कभी कभी एक ऐसी तस्वीर होती है जो भयावह भी हो जाती है। आज के दौर में माता-पिता बच्चों के सामने गाइडेंस कम टारगेट ज्यादा फिक्स करते हैं। ऐसे अभिभावकों के लिए जरूरी है कि वह चर्चित थ्री इडियट फिल्म का अवलोकन जरूर करें। आज यदि मेरे माता-पिता मेरे सामने टारगेट फिक्स करते तो आज मैं आइएएस अधिकारी के रुप में आपके सामने नहीं होता।
यह संदेश जिलाधिकारी आनंद कुमार ¨सह का उन अभिभावकों के लिए है जो अपने बच्चों पर टारगेट फिक्स करते हैं और कभी-कभी जिसका दबाव बच्चे झेल नहीं पाते हैं।
डीएम ने कहा कि अभिभावकों का अपने बच्चों के प्रति व्यवहार मित्रवत होना चाहिए। उन्हें अपने बच्चों पर डॉक्टर इंजीनियर जबरिया ना बनाए जाने का दबाव नहीं डालना चाहिए। अब तो युवाओं के लिए समाज में एक बड़ा प्लेटफॉर्म है जिसके जरिए कोई भी बेरोजगार हो ही नहीं सकता। जरूरी नहीं है कि जो बच्चा हाई स्कूल में कम अंक लाए वह आगे की कक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन न कर सके। कभी कभी तो ऐसा देखा जाता है कि यही बच्चे अपने लक्ष्य को हासिल भी कर लेते हैं। भगवान ने सभी बच्चों के अंदर कुछ ना कुछ गुण जरूर दिए हैं जरूरत है कि माता-पिता इन गुणों को पहचाने कोई बच्चा संगीत की दुनिया में जाना चाहता है तो उसे जबरिया मेडिकल फील्ड में ना भेजें। कोई लेखक बनना चाहता है तो उसे जबरिया इंजीनियर ना बनाएं। यही दबाव बच्चों की प्रतिभा का हनन करता है।
उन्होंने कहा कि परीक्षा में अच्छे नंबर लाने का दबाव ही इस समय सबसे ज्यादा सुसाइड की वजह बनता है मेरे माता-पिता ने कभी भी मेरे ऊपर दबाव नहीं डाला आज इसी का असर है कि मुझे जो फील्ड अच्छी लगी मैंने उसी में अपनी पढ़ाई जारी रखी। मैं प्रशासनिक अफसर बनना चाहता था। मैंने यह सपना पूरा किया आज अगर मेरे माता-पिता ने दबाव डाला होता तो शायद मैं आपके सामने इस पद पर नहीं होता। हर बच्चे का आईक्यू लेवल भी अलग-अलग होता है लेकिन यह निर्भर करता है कि उसकी स्कू¨लग कैसे हुई पेरेंट्स का व्यवहार कैसा है। क्योंकि पढ़ाई के साथ-साथ शिक्षणेत्तर गतिविधियों में भी भाग लेना जरूरी होता है। खेलकूद की गतिविधियों में भी बच्चों को लगाना चाहिए। अभिभावक यदि अपनी जिम्मेदारियों का ठीक ढंग से निर्वहन करेंगे तो निश्चित तौर पर उनका बच्चा एक बेहतर भविष्य को लेकर उनके सामने खड़ा होगा। आज बदलाव की जरूरत है और अभिभावकों को अपने अंदर बदलाव जरूर लाना चाहिए। ऐसे रखें अभिभावक अपना व्यवहार - बच्चों पर परीक्षा के दौरान ज्यादा नंबर लाने का दबाव ना डालें।
- दबाव के कारण बच्चा मानसिक तनाव में आ जाता है।
- बच्चों के सामने कभी भी उनका टारगेट या नंबर फिक्स ना करें।
- पढ़ाई के लिए जो भी जरूरी फैसिलिटी है वह बच्चों को जरूर ही उपलब्ध कराएं।
- यदि बच्चा किसी विषय में कमजोर है तो उसे खुद गाइड करें या जरूरत पड़े तो ट्यूशन भी लगा सकते हैं।