कान्हा की बाल लीलाओं को देख मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालु
मेला गणेश चौथ के गजानन हाल में चल रही रासलीला में गुरुवार को श्री कृष्ण केशव लीला संस्थान मथुरा के कलाकारों ने कान्हा की बाल लीलाओं का मनोहारी मंचन कर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
चन्दौसी: मेला गणेश चौथ के गजानन हाल में चल रही रासलीला में गुरुवार को श्री कृष्ण केशव लीला संस्थान मथुरा के कलाकारों ने कान्हा की बाल लीलाओं का मनोहारी मंचन कर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान मयूर नृत्य की प्रस्तुति देकर मनमोह लिया। कलाकारों की प्रतिभा देख कार्यक्रम हाल तालियों और भगवान श्री कृष्ण के जयकारों से गूंजता रहा।
राधाकृष्ण स्वरुप में सजे कलाकारों द्वारा मयूर नृत्य से रासलीला की शुरुआत हुई। इसके बाद कलाकारों ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं जैसे ओखल बंधन, माखन चोरी, मटकी फोड़ आदि लीलाओं का मनोहारी मंचन किया। देर रात तक चली रासलीला में कार्यक्रम हाल श्रद्धालुओं से खचाखच भरा नजर आया। कार्यक्रम में मथुरा के कलाकार गोपाल पाण्डेय, ओमप्रकाश, अमृत कुमार, आनंद श्रीवास्तव, लखन कुमार, सोनू कुमार, अर्जुन कुमार आदि ने किरदार निभाए। पेट की खातिर जान जोखिम में डाल कर रहे लोगों का मनोजरंजन : पेट के लिए आदमी क्या नहीं करता। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध मेला गणेश चौथ में बिजली से चलने वाले झूलों के अलावा मौत का कुंआ भी आया हुआ है। पेट की खातिर जान जोखिम में डाल कर कलाकार हैरतअंगेज करतब दिखा कर लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। करतब देखने के लिए मेले में भीड़ जुट रही है।
बता दें कि मेला गणेश चौथ में हर साल की भांति इस बार भी मौत का कुआं आया हुआ है। जिसमें छह मारुति कार और पांच बाइकों को कलाकार मौत का कुआं में चला कर हैरतअंगेज करतब दिखा रहे हैं। दस मिनट के इस शो में सबसे पहले छह मारुति कार मौत का कुंआ में जमीन से तीस फीट ऊंचाई तक चक्कर काटती हैं। इतना ही नहीं सभी कारें एक के पीछे एक रहती हैं और कार सवार लोग कार से बाहर आकर करतब दिखा कर लोगों को आकर्षित करते हैं। इसके बाद पांच बाइकों पर सवार कलाकार करतब दिखाते हैं। हैरतअंगेज करतब देख दर्शकों के दिल थमने लगते हैं। मौत का कुआं के संचालक सम्भल निवासी असलम ने बताया कि टीम में कुल पंद्रह लोग हैं। जिनमें सम्भल के ही मरगूब, मारुफ, अजीम, असलम, रईस, संजू बाबा करतब दिखाते हैं। इनका कहना है कि पेट की खातिर जान भी जोखिम में डालनी पड़ जाती है। लेकिन वह करीब दो दशक से इस काम को कर रहे हैं।