कोरोना काल में जनऔषधि केंद्र बीमार
जागरण संवाददाता बहजोई केंद्र सरकार गरीबों को सस्ती जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने पर जोर
जागरण संवाददाता, बहजोई: केंद्र सरकार गरीबों को सस्ती जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने पर जोर दे रही है। जिले में इसके लिए खोले गए जन औषधि केंद्र कोरोना काल में कारगर साबित नहीं हो पाए।
जिला अस्पताल में स्थित जन औषधि केंद्र पर ताला लटका है। जो केंद्र खुले हैं, उनमें पर्याप्त दवाएं नहीं हैं। चिकित्सकों ने भी हालात को देखते हुए जेनरिक दवाएं लिखने में रुचि नहीं दिखाई है। गरीब मरीज महंगी दवाएं खरीदकर इलाज कराने को मजबूर हैं। विदित हो कि एक जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना शुरू हुई। इसके बाद जनपद के जिला अस्पताल व एक चन्दौसी में औषधि केंद्र का शुभारंभ हुआ । इन केंद्रों पर करीब 750 प्रकार को दवाओं और सर्जिकल सामान की बिक्री की योजना बनाई गई। योजना का उद्देश्य गरीब मरीजों को 90 फीसद तक कम कीमत पर जैनरिक दवाएं उलपब्ध कराना था। केंद्रों का संचालन ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया (बीबीपीआई) कर रहा है।
केंद्रों पर लटके ताले
गुरूवार को जन औषधि केंद्रों का जायजा लिया। जिला अस्पताल के जन औषधि केंद्र में ताला लटका हुआ था। बताया गया कि वह पिछले पांच दिनों से बंद पड़ा हुआ है। डॉक्टर जेनेरिक दवा का नाम लिखना भूले
जेनरिक का नाम योजना में व्यवस्था है कि सरकारी व निजी अस्पतालों के डॉक्टर ब्रांडेड दवा भले ही लिखे। मगर उसका जेनेरिक नाम भी लिखें। ताकि मरीज जेब के हिसाब से खरीद सके। डॉक्टर जेनरिक दवा का नाम लिखना भूल गए हैं। इन केंद्रों पर वही ग्राहक पहुंचते हैं । जिन्हें दवा का साल्ट नेम पता हो। कई बार केंद्र संचालक खुद ही दवा का फार्मूला पता कर दवाएं देते है।