बजट से आस : सिंथेटिक मेंथा पर लगाम लगे तो फिर फैलेगी नैचुरल मेंथा की सुगंध, किसानों को सब्सिडी से मिलेगी राहत
किसानों को बजट 2024 से उम्मीद है कि सिंथेटिक मेंथा के उत्पादन पर रोक लगेगी, जिससे नेचुरल मेंथा की मांग बढ़ेगी। सब्सिडी मिलने से किसानों को आर्थिक राहत मिलेगी और वे बेहतर उत्पादन कर सकेंगे। सिंथेटिक मेंथा के कारण नेचुरल मेंथा की कीमतें गिरी हैं, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है।

शोभित कुमार, जागरण, संभल। मेंथा उत्पादक के रूप में संभल का देश विदेश में अच्छी पहचान है। लेकिन,अब यहां पर नैचुरल मेंथा का कारोबार घटता जा रहा है और उसका स्थान सिंथेटिक मेंथा ले रहा है। जिसका आयात चीन व मलेशिया से बहुतायत में हो रहा है। इसकी वजह से नैचुरल मेंथा काे बाजार में सही भाव नहीं मिल पा रहा है। क्योंकि नैचुरल के उत्पादन में अधिक लागत आ रही है और वहीं उसके सापेक्ष सिंथेटिक का दाम काफी कम होने के साथ ही आसानी से बाजार में उपलब्ध है।
मेंथा कारोबारियों को सरकार से उम्मीद है कि यदि सिंथेटिक पर लगने वाले टैक्स को बढ़ाने के साथ ही नैचुरल का उत्पादन करने वाले किसानों को बीज, जड़, खाद व दवा पर सब्सिडी दी जाए। यह नैचुरल कारोबार को बढ़ावा देने के लिए एक अच्छी पहल होगी। वहीं कारोबारियों का कहना है कि प्रदेश में मेंथा पर लगने वाले मंडी टैक्स को भी खत्म किया जाए।
मेंथा का उपयोग दवाओं, कंफैक्शनरी, पान मसाला, पेस्ट व साबुन के साथ अन्य वस्तुओं में किया जाता है। इस कारण ही मेंथा की बहुत मांग है। मगर, नैचुरल मेंथा के स्थान पर सिंथेटिक मेंथा का दबदबा है। जिसका असर कारोबार पर पड़ता दिखाई दे रहा है। इस कारण किसानों को उनकी इस मेंथा फसल की अच्छी कीमत नहीं मिल पाती है। ऐसे में धीरे धीरे किसानों का इस ओर से मोह भंग हो रहा है और वह मेंथा की फसल के बदले वह अन्य फसल की ओर अपना रुख कर रहे हैं।
| 16 | हजार टन जिले में नैचुरल मेंथा का कारोबार |
| 20 | हजार टन जिले में सिंथेटिक मेंथा का कारोबार |
| 20 | फैक्ट्रियां संभल में मैंथा की संचालित |
स्थानीय स्तर पर मेंथा कारोबारी नैचुरल को बढ़ावा देने के लिए पुरजोर प्रयास कर रहे हैं। जिससे फिर से संभल मेंथा उत्पादन में अग्रणी बन सके। उनके इस प्रयास से नैचुरल को बढ़ावा देने की बात कही जा रही है। परन्तु कोई खास सफलता दिखाई नहीं दे रही है। कारोबारियों का कहना है कि नैचुरल मेंथा का बढ़ावा देना है तो सरकार यदि आने वाले बजट में सिंथेटिक मेंथा को 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब में लाए। इससे वह महंगा होगा तो नैचुरल की मांग बढ़ेगी। क्योंकि वह उसके सापेक्ष उस दौरान बहुत सस्ता बैठेगा।
मांग बढ़ने पर किसान को उसके दाम भी सही मिलेंगे तो वह उसकी फसल में अपनी रुचि दिखाएंगे और इससे नैचुरल का उत्पादन फिर से बढ़ेगा। वहीं बजट में मेंथा उत्पादक किसानों को सब्सिडी भी दिए जाने का प्रावधान हो। इसमें इन किसानों को मेंथा की अच्छी पैदावार के लिए गुणवत्तापूर्ण जड़ जिससे ज्यादा पैदावार के साथ ही उसको कई सालों तक सुरक्षित रखा जा सके। साथ ही खाद व कीटनाशक दवाओं पर उन्हें सब्सिडी देते हुए नैचुरल के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
इस नैचुरल मेंथा का सालाना कारोबार अब करीब 15 से 16 हजार टन सालाना का है। जबकि करीब पांच साल पहले तक यही कारोबार 50 से 55 हजार टन का था। लगातार नैचुरल मेंथा के गिर रहे कारोबार को लेकर कारोबारियों के साथ साथ किसान भी परेशान हैं और इस कारण ही उनका रुझान मेंथा से हट रहा है और वह दूसरी फसलों की ओर ध्यान दे रहे हैं।
अब लागत की अपेक्षा उसका सही भाव बाजार में नहीं मिल रहा है। जबकि कारोबारियों का कहना है कि इस पर लगने वाला डेढ़ प्रतिशत मंडी टैक्स भी समाप्त होना चाहिए। यह एक कृषि से संबंधित उत्पाद है। इसके बाद भी जीएसटी व मंडी टैक्स लगाया जा रहा है, जो कि न्यायोचित नहीं है। इसलिए मंडी टैक्स को समाप्त करना किसान व कारोबारी के हित की बात होगी और इससे राहत भी मिलेगी।
केंद्र सरकार से उम्मीद
सिंथेटिक मेंथा में सी-40 की जांच के लिए दिल्ली या आसपास में लैब स्थापित की जानी चाहिए। जिससे कोई भी कारोबारी यदि उसकी गुणवत्ता की जांच कराना चाहे तो आसानी से करा सके। अभी इसकी जांच बहुत महंगी है। क्योंकि लैब अमेरिका में है। वही चीन व मलेशिया से आने वाले सिंथेटिक मेंथा के एडवांस लाइसेंस पर रोक के साथ टैक्स को भी बढ़ाया जाए। वही इस फसल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए शोध संस्थानों में हाइटेक रूप से काम करने की व्यवस्था के इंतजाम किए जाए।
प्रदेश सरकार से मांग
नैचुरल मेंथा की खेती को बढ़ावा देने के लिए उसकी पौध या जड़ की नई प्रजाति पर शोध करना होगा। इसके लिए शोध संस्थानों को अतिरिक्त बजट दिया जाए। जिससे वह ऐसी जड़ तैयार कर सकें जिसका उत्पादन अधिक हो। साथ ही कई साल तक उसको उपयोग किया जा सके और उत्पादन में कोई फर्क न पड़े। वही नैचुरल मेंथा किसानों को जड़, खाद व कीटनाशक की खरीद पर कुछ सब्सिडी दी जाए। जिससे वह इस खेती के लिए प्रोत्साहित हो सकें।

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