सौंधन का ऐतिहासिक किला: जल्द अपने वैभव में लौटेगा... राजस्थान के कारीगर संवार रहे सूरत
सौंधन का ऐतिहासिक किला, जो सैकड़ों वर्षों से उपेक्षित था, अब अपने प्राचीन वैभव में लौटने की तैयारी में है। भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा जुलाई से चल रह ...और पढ़ें

सौंधन का किला।
संवाद सूत्र, जागरण, सौंधन। सैकड़ों वर्षों की उपेक्षा का शिकार सौंधन का ऐतिहासिक किला एक बार फिर अपने प्राचीन वैभव में लौटने की तैयारी में है। भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा जुलाई से चल रहा संरक्षण व जीर्णाेद्धार कार्य अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है। राजस्थान से आए अनुभवी कारीगर किले को नया, सुरक्षित और आकर्षक रूप देने में जुटे हैं।
जुलाई से जारी संरक्षण कार्य अंतिम चरण में, एक माह में पूरा होने की उम्मीद
वर्षों से जर्जर हालत में पड़े इस महत्वपूर्ण धरोहर की स्थिति पर अधिकारियों का ध्यान तब गया जब जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने किले का निरीक्षण किया। उनके निर्देश पर भारतीय पुरातत्व विभाग को पत्र भेजा गया। जिसके बाद एएसआई द्वारा तुरंत संरक्षण कार्य शुरू कराया। इससे पहले विभागीय उदासीनता के कारण यह किला बदहाली के आंसू बहा रहा था और इसके संरक्षण की कोई ठोस पहल नहीं हो रही थी। जुलाई से पुरातत्व विभाग के कर्मचारियों व राजस्थान के लगभग 15 कारीगरों द्वारा किले में संरक्षण कार्य चल रहा है।
दोबारा बनी किले की सीढ़ियां
किले की सीढ़ियों को दोबारा बनाया गया है, टूट-फूट वाले हिस्सों की मरम्मत हो रही है और ईंटों को मजबूती देने के लिए सीरा नामक विशेष चिपकन सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है। ईंटों को सुर्खी रंग से रंगकर किले को पहले जैसी भव्यता देने का प्रयास किया जा रहा है। करीब एक महीने के अंदर किले का पूरा स्वरूप निखरकर सामने आने की उम्मीद जताई जा रही है। कारीगरों का कहना है कि फिनिशिंग का काम जारी है और पूरा कार्य होते ही किला एक आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में लोगों को अपनी ओर खींचेगा।
चमगादड़ों का ठिकाना है ये किला
दिलचस्प बात यह है कि इस प्राचीन किले में आज भी लाखों चमगादड़ बसे हुए हैं, जिनका यह ठिकाना सैकड़ों वर्षों से कायम है। इसके बावजूद किला अब पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करने लगा है और संरक्षण कार्य को देखने के लिए प्रतिदिन दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं। पुरातत्व विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों से उम्मीद है कि यह किला जल्द ही अपने पुराने गौरव के साथ नई पहचान कायम करेगा।
नहीं हटा अतिक्रमण, अब भी किले की जगह पर बने हैं मकान
संभल। दिसंबर 2024 में जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया और एएसआई टीम ने किले का निरीक्षण किया था। उन्होंने राजस्व विभाग की टीम को मौके पर बुलाकर किले की जगह की पैमाईश कराई थी। हालांकि कई वर्षों से किले के अंदर ही ग्रामीणों ने मकान बनाकर अवैध कब्जा कर रखा है। डीएम ने मौके पर हो रहे कुछ मकानों का निर्माण कार्य रूकवा दिया था। वहीं एएसआई की ओर से लगभग 100 मकान स्वामियों को मकान खाली करने के नोटिस दिए गए थे, लेकिन कब्जाधारियों ने मकान खाली नहीं किए और स्थिति जस की तस है।
बुजुर्गों का तर्क
गांव के ऋषिराम सिंह, प्रेमपाल सिंह, रामौतार सिंह व शिवराम सिंह का कहना है कि यह किला पुराने दौर की गवाही का है। इस किले का इतिहास मुग़ल काल से जुड़ा है। जिसे करीब 1645 ईस्वी में शाहजहां के शासनकाल में बनवाया गया था और यह 'गेट-वे ऑफ कारवां सराय' के नाम से पुरातत्व विभाग में दर्ज है, जो अपनी नक्काशी और स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है। जो, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित और जीर्णोद्धार किया जा रहा है।

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