प्रतियोगी परीक्षाओं में खत्म हो अंग्रेजी की अनिवार्यता : पाठक
प्रतियोगी परीक्षाओं में अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त किये जाने पर जोर देते हुये न्याय एवं विकास अभियान के राष्ट्रीय संयोजक श्याम रूद्र पाठक ने अंग्रेजी की अनिवार्यता को देश के विकास में प्रमुख बाधक बताया। मंगलवार को ग्राम नाधौस स्थित बाबू मुकुट बिहारी लाल जैन महाविद्यालय में आयोजित भारतीय भाषाओं का हमारे जीवन में उपयोग एवं सरकार द्वारा कितनी स्वीकार्यता विषयक गोष्ठी को वह बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
बहजोई : प्रतियोगी परीक्षाओं में अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त किये जाने पर जोर देते हुये न्याय एवं विकास अभियान के राष्ट्रीय संयोजक श्याम रुद्र पाठक ने अंग्रेजी की अनिवार्यता को देश के विकास में प्रमुख बाधक बताया। मंगलवार को ग्राम नाधौस स्थित बाबू मुकुट बिहारी लाल जैन महाविद्यालय में आयोजित भारतीय भाषाओं का हमारे जीवन में उपयोग एवं सरकार द्वारा कितनी स्वीकार्यता विषय पर गोष्ठी में वह बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि विभिन्न विषयों की उच्च शिक्षा एवं विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में अंग्रेजी की अनिवार्यता समाप्त की जाए। सरकारों द्वारा इस प्रकार की अनिवार्यता ¨हदी भाषा व क्षेत्रीय भाषा के जानकार विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। देश के विकास में अपनी योग्यता व प्रतिभा के आधार पर देश व समाज का उत्थान करने वाले अंग्रेजी की अनिवार्यता के कारण तमाम युवा अपना योगदान देने में असमर्थ हैं। इसके पहले चन्दौसी से आये संवेदना समिति के सचिव सुनील सौरभ ने भी विचार व्यक्त करते हुये कहा कि भारतीय भाषाओं में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र-छात्राओं की सहभागिता में शिक्षा एवं नौकरियों में अंग्रेजी की अनिवार्यता को सबसे बड़ी रुकावट है।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विनय पाण्डेय ने भी ¨हदी एवं क्षेत्रीय भाषा के महत्व को बताते हुये अपनी भाषा को देश की आत्मा की संज्ञा दी। इस अवसर पर डॉ. रामचंद्र, सम्भव जैन, डॉ. मनोज कुमार, देवेन्द्र यादव, विजय पाल ¨सह, कौशल कुमार, खुशीराम राणा, नकुल वाष्र्णेय, नेत्रपाल ¨सह, अक्षय राठौर आदि ने सहयोग किया। संचालन डॉ. मनोज कुमार ने किया।