वाहन को तरसते हैं राहगीर
हनों से करते हैं सफर जागरण संवाददाता सम्भल यह है अपना सम्भल जिला जिला तो है लेकिन सहूलियत कोई नहीं हैं। विकास के नाम पर शायद सबसे आखिरी पायदान पर चल रहे इस जिले में मूलभूत समस्याओं का भी रोना है। बिजली पानी और सड़क जैसे तमाम ऐसे ज्वलंत मुद्दे हैं जो इंतजार कर रहे हैं कि कब इनका समाधान होगा। इन मुद्दों के अलावा इस जिले में परिवहन की सबसे बड़ी समस्या है। जिले की प्रमुख तहसील चंदौसी है और मुख्यालय बहजोई में हैं। डीएम-एसपी समेत सभी आला अधिकारी बहजोई में बैठ
सम्भल: यह है अपना सम्भल, जिला तो है लेकिन सहूलियत कोई नहीं हैं। विकास के नाम पर शायद सबसे आखिरी पायदान पर चल रहे इस जिले में मूलभूत समस्याओं का भी रोना है। बिजली, पानी और सड़क जैसे तमाम ऐसे ज्वलंत मुद्दे हैं, जो इंतजार कर रहे हैं कि कब इनका समाधान होगा। इन मुद्दों के अलावा इस जिले में परिवहन की सबसे बड़ी समस्या है। जिले की प्रमुख तहसील चंदौसी है और मुख्यालय बहजोई में हैं। डीएम-एसपी समेत सभी आला अधिकारी बहजोई में बैठते हैं। लेकिन चंदौसी और बहजोई तक जाने के लिए कोई पर्याप्त साधन नहीं हैं। रोडवेज बस न होने के कारण राहगीर डग्गामार वाहनों से जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं। इस महत्वपूर्ण मुद्दे को लेकर न तो प्रशासन संजीदा है और न ही यहां के नेता।
किसी दौर में सम्भल मुरादाबाद लोकसभा सीट का हिस्सा होता था। करीब आठ साल पहले सम्भल को मुरादाबाद से काटकर नया जिला बना दिया गया था। जिला बनने के बाद विकास की तमाम उम्मीदें जगी थी, लोगों को लगा था कि अब सम्भल विकास की नई सीढि़यों पर चढ़कर अलग पहचान बनाएगा लेकिन वक्त के साथ ही उनकी उम्मीदें भी टूट गई। पहले जिला मुख्यालय को लेकर लंबा संघर्ष चला। आखिरकार मुख्यालय बहजोई बना दिया गया। अब परिवहन को लेकर जद्दोजहद चल रही है। बताते चले कि मुख्यालय बहजोई के अलावा मुख्य तहसील चंदौसी तक जाने के लिए सम्भल से रोडवेज बसें नहीं हैं। लांग रूट से आने वाली इक्का-दुक्का बसें ही यात्रियों को मिलती हैं। घंटों इंतजार करने के बाद जब बसें नहीं मिलती तो राहगीर डग्गामार वाहनों में जान-जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं। कई दफा यह मुद्दा स्थानीय प्रशासन के साथ ही नेताओं के सामने भी उठाया गया। लेकिन, वादे तो सभी ने किए पर कभी समाधान का प्रयास नहीं किया। क्या कहते हैं राहगीर-
अक्सर दवा लेने बहजोई जाना पड़ता है। पहले सम्भल में घंटों इंतजार करने के बाद वाहन मिलता है। वहां से लौटते समय पांच बजे के बाद वाहन नहीं मिलता जिस कारण कई दफा जान जोखिम में डालकर घर आना पड़ता है।
अरमान काम के सिलसिले में अक्सर डीएम आफिस जाना पड़ता है। समय से वाहन न मिलने के कारण कई दफा बैरंग लौटना पड़ा। वहीं बहजोई से देर शाम से कोई वाहन नहीं मिलता। इस समस्या को कोई नहीं सुन रहा है।
राजकुमार चंदौसी जाने के लिए करीब दो घंटे से वाहन का इंतजार कर रहा हूं। यह पहली दफा नहीं अक्सर यही होता है। अगर रोडवेज बसों का संचालन शुरू हो जाए तो आम यात्रियों को काफी राहत मिलेगी।
राशिद
बहजोई में जरूरी काम से जाना था। दो घंटे से वाहन का इंतजार करना पड़ा। सरकार को चाहिए कि कम से कम मुख्यालय तक के लिए रोडवेज बस सेवा शुरू कर दें। आम यात्रियों को रोजाना इस समस्या से जूझना पड़ता है।
तहसीन