डॉ. वर्मा हिदी के उच्चारण के साथ गर्व से पढ़ाते है उर्दू
उच्चारण के साथ उर्दू पढ़ाने वाले डा.मोहित वर्मा की एक अलग ही कहानी है। बहुत कम ही उम्र में इन्होंने उर्दू में जो महारथ हासिल की वो शायद कोई न कर पाए। इंटरमीडिएट उर्दू से करने के बाद स्नातक की पढ़ाई भी उर्दू से की और बाद में बीयूएमएस कर डाक्टरी की डिग्री हासिल कर ली। डाक्टर बनकर समाजसेवा का जो रास्ता
अंकित गोस्वामी, सम्भल: हिदी के उच्चारण के साथ उर्दू पढ़ाने वाले डॉ.मोहित वर्मा की एक अलग ही कहानी है। बहुत कम ही उम्र में इन्होंने उर्दू में जो महारथ हासिल की, वो शायद कोई न कर पाए। इंटरमीडिएट उर्दू से करने के बाद स्नातक की पढ़ाई भी उर्दू से की और बाद में बीयूएमएस कर डॉक्टरी की डिग्री हासिल कर ली। डॉक्टर बनकर समाजसेवा का जो रास्ता बनाया उससे संतुष्टि नहीं मिली तो मुस्लिम वर्ग के युवाओं को उर्दू पढ़ाने का मन बना लिया। अब वह कई सारे युवाओं को निशुल्क उर्दू की शिक्षा दे रहे हैं। तमन्ना अधिक से अधिक बच्चों को उर्दू की शिक्षा देने की है। लिहाजा वह अपने इस काम में जी जान से जुटे हुए हैं।
सम्भल से महज कुछ ही दूरी पर स्थित कस्बा सिरसी निवासी सेवानिवृत्त पोस्टमैन सुशील सिंह वर्मा के बेटे मोहित कुमार वर्मा ने वर्ष 2009-10 में उर्दू विषय से प्राइवेट इंटरमीडिएट किया। इसके बाद उन्होंने सिरसी के ही मौलाना हसीन साहब से उर्दू की तालीम हासिल की। दो वर्ष कोचिग करने के बाद उनका सिलेक्शन बीयूएमएस के लिए हो गया। उर्दू से ही बीयूएमएस की डिग्री हासिल कर ली। डॉ.मोहित वर्मा लगन और संघर्ष से पढ़ाई कर अब डाक्टर बन गए हैं। सिरसी में अपनी खुद की क्लीनिक चलाते हैं। क्लीनिक पर जो तस्वीर दिखती है वह काबिले तारीफ है। खाली समय में आसपास से मुस्लिम वर्ग के लोगों को बुलाकर उन्हें निश्शुल्क उर्दू पढ़ाते हैं। खास बात तो यह है कि इस कार्य में मुस्लिम भी खुद दिलचस्पी लेते हैं और बड़े लग्न के साथ पढ़ने जाते हैं। कलमा से उर्दू की शुरूआत कराते हैं। फिलहाल में करीब आधा दर्जन से अधिक बच्चों को वह उर्दू पढ़ा रहे हैं। जिनमें एक उनका भतीजा यश वर्मा भी शामिल है। अब तक वह करीब 30 बच्चों को उर्दू पढ़ना लिखना सिखा चुके हैं। आगे उनका मकसद है कि बच्चों की संख्या बढ़ने पर वह दोपहर में दो बजे से पांच बजे तक कोचिग दिया करेंगे। डॉ. मोहित कुमार वर्मा कहते है कि उर्दू पढ़ने लिखने से कोई मुस्लिम नहीं बन सकता। उर्दू अच्छी भाषा है। इसको पढ़ने लिखना का सभी को अधिकार है।
मैंने इंटर व बीयूएमएस की पढ़ाई में उर्दू विषय को शामिल किया और कामयाबी भी पाई। अब मैं अपने भतीजे को भी उर्दू पढ़ना लिखना सिखा रहा हूं। मैं अपने क्लीनिक पर हर वर्ग के बच्चों को उर्दू सिखाने के लिए बुलाता हूं। काफी बच्चें पढ़ने के लिए आते है और उन्हें मुफ्त शिक्षा दी जा रही है। मुझे उर्दू भाषा से सरल कोई भाषा नहीं लगती। मैं पिछले छह माह से बच्चों को शिक्षित बना रहा हूं।
डॉ. मोहित वर्मा सिरसी जैसी जगह में अगर कोई हिदू वर्ग का युवा उर्दू पढ़ा रहा है तो वह वाकई काफिले तारीफ है। सिरसी सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है। हर कोई आपस में भाई भाई है। युवा वर्ग ऐसी मिसाल पेश करेगा तो भविष्य में सांप्रदायिक सौहार्द को और मजबूती मिलेगी।
मौलाना मोहम्मद हुसैन जाफरी