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पिता की मौत का गम लेकर लिखी सफलता की कहानी

अगर मन में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो कोई भी मुश्किल आपके हौसले को हारने नहीं दे सकती। कुछ ऐसा ही हौसला दिखाया है सम्भल जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाले दीपक कुमार ने। पिता की मौत का सदमा भी दीपक के हौसले को नहीं रोक सका। मुख्य परीक्षा से एक दिन पहले पिता की मौत ने उसे झकझोर दिया। लेकिन पिता का ख्वाब पूरा करने के लि

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 11:52 PM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 11:52 PM (IST)
पिता की मौत का गम लेकर लिखी सफलता की कहानी
पिता की मौत का गम लेकर लिखी सफलता की कहानी

सम्भल: अगर मन में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो कोई भी मुश्किल आपके हौसले को हारने नहीं दे सकती। कुछ ऐसा ही हौसला दिखाया है जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाले दीपक कुमार ने। पिता की मौत का सदमा भी दीपक के हौसले को नहीं रोक सका। मुख्य परीक्षा से एक दिन पहले पिता की मौत ने उसे झकझोर दिया लेकिन उनका ख्वाब पूरा करने के लिए उनके अंतिम संस्कार के बाद सीधे परीक्षा देने के लिए दिल्ली रवाना हो गया। आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और सिविल सर्विस परीक्षा पास में दीपक ने 476वीं रैंक हासिल की।

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मूलत: बहजोई कोतवाली क्षेत्र के ग्राम दिलगौरा के रहने वाले दीपक कुमार करीब दो साल से परिवार के साथ चंदौसी में किराए के मकान में रहने आ गए थे। खेती-किसानी पर निर्भर दीपक यहां पर कोचिग सेंटर चलाने के साथ ही परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। रिजल्ट आने के बाद दीपक ने दैनिक जागरण को बताया कि छह अक्तूबर को दिल्ली में मेंस की परीक्षा थी। वह परीक्षा की तैयारी कर रहे थे कि पांच अक्तूबर को बीमारी के कारण उनके पिता रामगोपाल शर्मा का निधन हो गया। परीक्षा से एक दिन पहले पिता के निधन ने उनको झकझोर दिया। एक बारगी लगा कि वह परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे। ऐसे में मां सरोजलता व बड़े भाई विष्णुकांत ने उसे समझाते हुए पिता के सपने को पूरा करने के लिए कहा। हौसला मिला तो पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद वह परीक्षा में शामिल होने के लिए ट्रेन से दिल्ली रवाना हो गया। वहीं दीपक ने बताया कि परीक्षा देने के बाद घर आया तो कुछ दिन बाद बीमारी से उसके बड़े भाई विष्णुकांत का भी बीमारी से निधन हो गया था। रविवार को जब उसे आयोग से आए फोन व मेल के जरिए परीक्षा पास होने की जानकारी मिली तो कई माह बाद घर में खुशी का माहौल नजर आया। परीक्षा में 476वीं रैंक हासिल करने के बाद उसने इसका श्रेय माता-पिता के साथ ही मधुकर परिवार को दिया। उन्होंने सफलता का मूल मंत्र सच्ची लगन और कड़ी मेहनत बताया। वहीं रिजल्ट आने के बाद दीपक के घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।


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