रमजान में बिजली भी इतराई
गवां: जैसे जैसे गर्मी के तेवर बढ़ते जा रहे हैं वैसे वैसे कस्बे की बिजली भी नखरें दिखा रही ह
गवां: जैसे जैसे गर्मी के तेवर बढ़ते जा रहे हैं वैसे वैसे कस्बे की बिजली भी नखरें दिखा रही है।
कस्बा गवां में बिजलीघर बन कर तैयार है फिर भी कस्बाई बिजली को तरस रहे हैं। आजादी से अब तक तमाम निजाम बदल गये लेकिन किसी ने भी गवां की ओर ध्यान नहीं दिया। कहने को तो योगी सरकार ने 14 अप्रैल 2017 से प्रदेश में पावर टू आल महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की लेकिन धरातल पर हालात कुछ और ही हैं।
ग्रामीणों की मानें तो इस सरकार से अच्छी बिजली पिछली सरकारों में मिलती थी। पहले बिजली निर्धारित समय पर मिलती थी लेकिन अब केवल कागजों में बिजली दौड़ रही है। बिजली समस्या को लेकर नगर चेयरमैन व गुन्नौर विधायक अजीत कुमार कई बार संबंधित अधिकारियों तक समस्या को पहुंचा चुके हैं लेकिन महकमा कानों में तेल डाले हुये है। जनता में बिजली की अघोषित कटौती, लो वोल्टेज और ट्रि¨पग की समस्या के खिलाफ भारी रोष है।
भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष विशेष गौड़ का कहना है कि कस्बा में बीजेपी को सर्वाधिक मत मिले फिर भी सरकार की उदासीनता है। ऐसे में कार्यकर्ताओं में असन्तोष है। इससे अच्छी लाइट तो बसपा और सपा में मिलती थी। नफीसा बेगम ने कहा कि सरकार को रमजान में बिना कटौती लाइट देनी चाहिये। कस्बे के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है जबकि देहात में अच्छी बिजली सप्लाई चल रही है। भाजपा का अंकुश होता तो बिजली आपूर्ति बाधित न होती।
राजेश यादव
योगी जी ने कस्बों को 20 घंटे लाइट देने की बात कही लेकिन सही तरह से आठ घटे भी लाइट नहीं मिल पा रही। इन्वर्टर तक डाउन पड़ा है।
चित्रांगदा ¨सह,शिक्षिका -लगातार रोजे रख रही हैं। बिजली न आने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रमजान के महीने में नियमित रूप से लाइट देनी चाहिये।
आसमां सैफी -रमजान की महीने में भी बिजली नहीं मिल रही जबकि सरकार ने अधिकारियों को रमजान में सुचारू रूप से बिजली देने को कहा था।
शाहिद, रोजेदार