दरगाह जनेटा शरीफ़ का उर्स आज से तैयारियां पूर्ण
दरगाह जनेटा शरीफ का सालाना चार रो•ा उर्स ए कादरी चिश्ती इस बार बुधवार से शुरू होगा। खानकाह कादरी नौशाही पर उर्स की तैयारियां •ाोर शोर से चल रही है। मजारात की रंगाई पुताई का कार्य चल रहा है। गांव जनेटा को अपने रूहानी फ़ै•ा से आबाद करने वाले बु•ाुर्ग म़खदूम ह•ारत सैय्यद मोअज्जम अली शाह रहमतुल्लाह के सालाना उर्स में देश के विभिन्न राज्यों से अकीदतमंद और जायरीन शिरकत करेंगे। आस्ताने से बाबस्ता मुरीद और अकीदतमंदों के आने का सिलसिला मंगलवार से
चन्दौसी : दरगाह जनेटा शरीफ का सालाना चार रो•ा उर्स ए कादरी चिश्ती इस बार बुधवार से शुरू होगा। खानकाह कादरी नौशाही पर उर्स की तैयारियां •ाोर शोर से चल रही है। मजारात की रंगाई पुताई का कार्य चल रहा है।
गांव जनेटा को अपने रूहानी फ़ै•ा से आबाद करने वाले बु•ाुर्ग म़खदूम ह•ारत सैय्यद मोअज्जम अली शाह रहमतुल्लाह के सालाना उर्स में देश के विभिन्न राज्यों से अकीदतमंद और जायरीन शिरकत करेंगे। आस्ताने से बाबस्ता मुरीद और अकीदतमंदों के आने का सिलसिला मंगलवार से ही शुरू हो गया है। सज्जादा नशीन सैय्यद शाहिद मियां कादरी नौशाही ने बताया कि सालाना उर्स-ए-कादरी चिश्ती की तैयारियों का सिलसिला जारी है। इस साल उर्स का आगा•ा 13 फरवरी को शानो शौकत के साथ किया जाएगा। दरगाह से बाबस्ता मुरीद और अकीदतमंद देश भर में फैले हुए हैं, खासतौर से राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली , हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश से मुरीद और दरगाह से जुड़े हुए विभिन्न धर्मो के लोग औलिया इकराम के उर्स में शिरकत कर फ़ै•ा हासिल करेंगे।
बगदाद से तशरीफ़ लाए थे मोअज्जम मियां..
चन्दौसी: बात करीब ढाई सौ साल पुरानी है उस वक्त जनेटा गांव के लोग जिन्नात के प्रकोप से परेशान थे जिन्न गांव को आबाद नहीं होने देते थे। लोग दिन भर मेहनत करके मकानों का निर्माण करते थे मगर रात को दिन भर किया हुआ कार्य ध्वस्त हो जाता था। जिन्नात मकानों को गिरा देते थे। लोग इससे बहुत परेशान थे। उसी दौरान जहां आज जनेटा की दरगाह स्थित है वहां घना जंगल था। उस झाड़ी में आकर मोअज्जम अली शाह दादा मियां ने अपना बसेरा किया था। बगदाद के सक्कर से पहले पाकिस्तान के ¨सध प्रांत पहुंचे और वहां से जनेटा के जंगल में आकर रुके थे। जब जनेटा के लोगों को जंगल में किसी सूफी दरवेश के ठहरने की जानकारी मिली तो लोगों ने उनके पास जाकर अपनी परेशानी बताई इस पर दादा मियां ने गांव आकर एक मकान की नींव रखी और जिन्नात के सरदार को कैद कर अपने साथ जंगल ले गए। गांव धीरे धीरे आबाद होना शुरू हो गया। इस तरह जिन्नात के हटने के कारण गांव का नाम पहले जिनहटा पड़ा जो बाद में बोलचाल में बिगड़ कर जनेटा हो गया। आज भी जनेटा मोअज्जम मियां के रूहानी फ़ै•ा से आबाद है। दरगाह जनेटा शरीफ पर हर साल उर्स-ए-कादरी चिश्ती धूमधाम से मनाया जाता दूर दराज से मुरीद और आस्ताने से जुड़े हुए लोग उर्स में शामिल हो कर बुजुर्गों के रूहानी फ़ै•ा से मालामाल होते हैं।