हुआ कुछ यूं कि आजादी के मतवालों ने हाथाेें में उठा ली थी पं. नेहरू की कार
जनसभा रोकने के लिए साजिश कर पंडित नेहरू के रास्ते में खाई खोद दी गई थी। तभी युवाओं का रेला मौके पर पहुंच गया और पंडित नेहरू की कार को हाथों में उठाकर खाई के पार करा दिया।
By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 27 May 2019 02:46 PM (IST)Updated: Mon, 27 May 2019 02:46 PM (IST)
सहारनपुर, [अश्वनी त्रिपाठी]। सहारनपुर का पंडित जवाहरलाल नेहरू से पुराना नाता रहा है। आजादी की लड़ाई में जब पंडित नेहरू स्वतंत्रता संग्राम को देशव्यापी बनाने में लगे थे, तब सहारनपुर ने उनसे कदमताल करते हुए अंग्रेजों को खदेड़ने की हुंकार भरी थी। यहां युवाओं में पंडित नेहरू को लेकर छाया जुनून सभी हद को पार कर रहा था। सन् 1936 में जनपद के गंगोह कस्बे में पंडित जवाहरलाल नेहरू की जनसभा कराने का फैसला तत्कालीन कांग्रेस कमेटी ने किया। तब नेहरूजी इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रमुख थे। यह रणनीति बनाई गई कि पंडित नेहरू की सभा से कांग्रेस के नेतृत्व में चल रहे स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन को यहां मजबूती मिलेगी। 12 सितंबर, 1936 की निर्धारित तिथि पर पंडित नेहरू कार से सहारनपुर जिले में प्रवेश कर गए, लेकिन गंगोह स्थित जनसभा स्थल पर नहीं पहुंच पाए। दरअसल पंडित नेहरू की जनसभा रोकने के लिए साजिश रच दी गई थी। उनके रास्ते में खाई खोदवा दी गई, ताकि पंडित नेहरू की कार खाई पार न कर सके और जनसभा रुक जाए। यह जानकारी जैसे ही पंडित नेहरू के समर्थकों को मिली, युवाओं का रेला मौके पर पहुंच गया तथा पंडित नेहरू की कार को हाथों में उठाकर खाई के पार करा दिया। पंडित नेहरू भी युवाओं का जोश देखकर हतप्रभ रह गए थे। गंगोह पहुंचने पर पंडित नेहरू का भव्य स्वागत किया गया था। सभा को संबोधित करने के बाद पंडित नेहरू गंगोह से नानौता, रामपुर, देवबंद होते हुए वापस गए थे।
सफल नहीं हुई थी अंग्रेजी सरकार
जहीर अख्तर : सहारनपुर के इतिहास के जानकार व शोभित यूनिवर्सिटी के केयरटेकर जहीर अख्तर बताते हैं कि गंगोह में ककराली परिसर के सामने स्थित मैदान में पंडित नेहरू की जनसभा हुई थी। उन दिनों वाया नकुड़ होकर गंगोह पहुंचा जाता था। पंडित नेहरू उसी रास्ते से गंगोह के लिए आ रहे थे। अंग्रेजों ने साजिश कर उनके रास्ते में खाई खोदवा दी थी, ताकि जनसभा रुकवाई जा सके। युवाओं ने कार को हाथ में उठाकर पार कराया और पंडित नेहरू गंगोह पहुंचे। यहां लाला केदारनाथ के साथ वह जनसभा स्थल तक गए।
यह छपवाया गया था इश्तिहार
हर्ष
हो मुबारक दोस्तों आमद जवाहर लाल की
किस्मत से जियारत हो गई भारत के लाल की
आमद है कौमी सयाह फरिश्ता हिजाल की
गंगोह को खुशी क्यों न हो, इस नेक फाल की
वो आए घर में हमारे, खुदा की कुदरत है
कभी हम उनको, कभी अपने घर को देख लेते हैं।
हिंदुस्तान के बेताज बादशाह पंडित जवाहरलालजी नेहरू, सदर इंडियन नेशनल कांग्रेस की कस्बा गंगोह में तशरीफ आवरी
हर मुहिब्बाने वतन व देश हितैषी नर नारियों से प्रार्थना है कि मोरखा 12 सितंबर सन् 1936 में मुताबिक भादो बदी संवत 1992 बरोज शनीचर तवक्त आठ बजे सुबह मैदान ककराली पर जनाब पंडित जवाहरलाल नेहरू की तहरीर होगी।
इसलिए सब साहेबान जल्द अज जल्द तशरीफ फरमा कर ममनून व मसकूर फरमाएं और उनके दर्शन से लाभ उठाएं। नीज अहले जलसा के तकरीर सुनने और दर्शन करने के लिए लाउडस्पीकर (यानी आला आवाज बुलंद) जिससे बहुत दूर तक आवाज साफ सुनाई देगी वगैरा का खास इंतजाम किया गया है।
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जहीर अख्तर : सहारनपुर के इतिहास के जानकार व शोभित यूनिवर्सिटी के केयरटेकर जहीर अख्तर बताते हैं कि गंगोह में ककराली परिसर के सामने स्थित मैदान में पंडित नेहरू की जनसभा हुई थी। उन दिनों वाया नकुड़ होकर गंगोह पहुंचा जाता था। पंडित नेहरू उसी रास्ते से गंगोह के लिए आ रहे थे। अंग्रेजों ने साजिश कर उनके रास्ते में खाई खोदवा दी थी, ताकि जनसभा रुकवाई जा सके। युवाओं ने कार को हाथ में उठाकर पार कराया और पंडित नेहरू गंगोह पहुंचे। यहां लाला केदारनाथ के साथ वह जनसभा स्थल तक गए।
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हो मुबारक दोस्तों आमद जवाहर लाल की
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कभी हम उनको, कभी अपने घर को देख लेते हैं।
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हर मुहिब्बाने वतन व देश हितैषी नर नारियों से प्रार्थना है कि मोरखा 12 सितंबर सन् 1936 में मुताबिक भादो बदी संवत 1992 बरोज शनीचर तवक्त आठ बजे सुबह मैदान ककराली पर जनाब पंडित जवाहरलाल नेहरू की तहरीर होगी।
इसलिए सब साहेबान जल्द अज जल्द तशरीफ फरमा कर ममनून व मसकूर फरमाएं और उनके दर्शन से लाभ उठाएं। नीज अहले जलसा के तकरीर सुनने और दर्शन करने के लिए लाउडस्पीकर (यानी आला आवाज बुलंद) जिससे बहुत दूर तक आवाज साफ सुनाई देगी वगैरा का खास इंतजाम किया गया है।
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