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हिडन किनारे गांवों के ग्रामीण दूषित जल पीने को मजबूर

जड़ौदापांडा की हिडन का जहर नदी तट से 300 फीट नीचे तक पहुंच गया है। नन्हेड़ा खुर्द गांव सहित आधा दर्जन से भी अधिक हिडंन किनारे बसे गांव में पेयजल के लिए 300 फीट तक बोरिग कराने पर जहर निकल रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 08:41 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 08:41 PM (IST)
हिडन किनारे गांवों के ग्रामीण दूषित जल पीने को मजबूर
हिडन किनारे गांवों के ग्रामीण दूषित जल पीने को मजबूर

सहारनपुर, जेएनएन। जड़ौदापांडा की हिडन का जहर नदी तट से 300 फीट नीचे तक पहुंच गया है। नन्हेड़ा खुर्द गांव सहित आधा दर्जन से भी अधिक हिडंन किनारे बसे गांव में पेयजल के लिए 300 फीट तक बोरिग कराने पर जहर निकल रहा है। बताया जाता है कि इस जल में सीसा कैडमियम की मात्रा अधिक है। स्थान बदलकर बोरिग कराने पर भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।

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हिडन नदी किनारे बसे नन्हेड़ा खुर्द, बड़ाबास और पीपला सहित आधा दर्जन गांव भयंकर बीमारियों की चपेट में हैं। इन गांवों में कई लोगों की अकाल मौत भी हो चुकी है। दूषित पानी पीने से ग्रामीण कैंसर व पीलिया जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं। नन्हेड़ा खुर्द, बड़ाबास और पीपलो गांव में जल निगम की टीम के द्वारा टंकी लगाने के लिए सर्वे तो किया गया, लेकिन आज तक टंकी का निर्माण नहीं हुआ। वर्ष 2013 व 2015 में बाबा मंगलगिरी व यमुना रक्षक दल ने हिडन नदी की सफाई के लिए आंदोलन किया। कई बार ग्रामीणों ने भी एसडीएम रामपुर मनिहारन के सामने मामला उठाया।

नन्हेड़ा खुर्द गांव निवासी प्रशांत ने बताया कि हैडपंपों से 300 फीट तक दूषित जल निकलता है। पीने योग्य जल के लिए 400 फीट तक बोरिग कराना पड़ता है। शुद्व पेयजल के लिए गांव में पानी की टंकी का होना बेहद जरूरी है।

किसान प्रदीप ठाकुर का कहना है कि हिडंन में सहारनपुर व आस पास के कई उद्योगों का जहरीला पानी छोड़ा जा रहा है। जो आबादी के लिए घातक है। कई बार डीएम से शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नही हुई ।

इस मामले में ग्राम प्रधान विनोद फौजी का कहना है कि जल निगम के द्वारा सर्वे तो पुरा हो चुका हैं। टंकी के निर्माण के लिए जमीन में थोड़ी अड़चन आ रही हैं । जमीन की समस्या का समाधान कराते हुए जल्द ही टंकी का निर्माण शुरू करा दिया जाएगा।


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