नागरिकता संशोधन बिल संविधान की आत्मा के विरुद्ध : उलमा
नागरिकता संशोधन विधेयक-2019 लोकसभा में स्वीकृत होने पर उलमा ने कड़ा एतराज जताते हुए इसे सरासर मुस्लिम विरोधी बिल करार दिया है।
सहारनपुर जेएनएन। नागरिकता संशोधन विधेयक-2019 लोकसभा में पारित होने पर उलमा ने कड़ा एतराज जताते हुए इसे सरासर मुस्लिम विरोधी बिल करार दिया है। उलमा का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा नए-नए बिल लाकर मुसलमानों को बेवजह परेशान किया जा रहा है।
जमीयत उलमा-ए-हिद (महमूद गुट) के अध्यक्ष कारी उस्मान मंसूरपुरी ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक भारतीय संविधान की आत्मा के विरुद्ध है। नागरिकता एक्ट 1955 में किया गया संशोधन भारतीय संविधान की मूलभूत धाराओं 14 व 15 के भी खिलाफ है। जमीयत उलमा-ए-हिद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जमीयत इस बिल को संविधान के विपरीत मानती है और यह अपील करती है कि विपक्षी दल पूरी क्षमता से इसके विरुद्ध राज्यसभा में अपने मत का प्रयोग करेंगे। मदरसा फारूकिया के मोहतमिम मौलाना नूरुल हुदा कासमी ने कहा कि लोकसभा में पास हुआ नागरिकता संशोधन बिल एक साजिश है जिसके तहत मुसलमानों को अलग करने का प्रयास किया जा रहा है। इस बिल की जितनी निदा की जाए कम है।
जमीयत दावतुल मुसलिमीन के संरक्षक कारी इसहाक गोरा ने कहा कि नागरिक संशोधन बिल से भाजपा देश में जहां विभाजन की कोशिश कर रही है, वहीं असल मुद्दों से देश की जनता को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है। उलमा ने सेक्युलर दलों से राज्यसभा में इस बिल को पारित नहीं होने देने अपील की है।