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युवा पीढ़ी को आजादी की अहमियत समझाने की जरुरत: राजकुमार

छुटमलपुर में एंग्लो हिदुस्तानी पब्लिक इंटर कालेज की प्रबंधिका के पति एवं गंगाली के पूर्व प्रधान राजकुमार पुंडीर का कहना है कि आज युवा पीढ़ी को आजादी की अहमियत और कीमत समझाने की जरुरत है। ताकि उनके मन में राष्ट्रभक्ति की भावना प्रगाढ़ हो सके और वह आजादी की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने के लिए सदैव तत्पर रहे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 07:34 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 07:34 PM (IST)
युवा पीढ़ी को आजादी की अहमियत समझाने की जरुरत: राजकुमार
युवा पीढ़ी को आजादी की अहमियत समझाने की जरुरत: राजकुमार

सहारनपुर, टीम जागरण। छुटमलपुर में एंग्लो हिदुस्तानी पब्लिक इंटर कालेज की प्रबंधिका के पति एवं गंगाली के पूर्व प्रधान राजकुमार पुंडीर का कहना है कि आज युवा पीढ़ी को आजादी की अहमियत और कीमत समझाने की जरुरत है। ताकि उनके मन में राष्ट्रभक्ति की भावना प्रगाढ़ हो सके और वह आजादी की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने के लिए सदैव तत्पर रहे।

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गौरतलब है कि राजकुमार पुंडीर के पिता स्वतंत्रता सेनानी स्व छज्ज सिंह पुंडीर का आजादी के आंदोलन में अहम योगदान रहा है। बकौल राजकुमार उनके पिता ने स्वाधीनता आंदोलन के दौरान आजादी के मतवालों को गालियां देने वाले शहर कोतवाल की दिन दहाड़े हत्या कर दी थी। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अपने पिताश्री द्वारा स्थापित एंग्लो हिदुस्तानी पब्लिक इंटर कालेज में उनकी यादों को ताजा करते हुए राजकुमार पुंडीर ने बताया कि उनके पिता कालेज में पढ़ते समय ही स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हो गए थे। एक दिन सहारनपुर में जलूस निकालते समय उनकी भिड़ंत शहर कोतवाल से हो गई थी। उसने आजादी के दीवानों को गलियां देते हुए जलूस रोकने का प्रयास किया तो उनके पिताजी ने कोतवाल को सरेबाजार गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया था और फरार हो गए थे। राजकुमार बताते है कि तब गोरों ने उन्हें देखते ही गोली मारने के आदेश दिये थे और उनकी साढ़े सात सौ बिगाह भूमि भी जब्त कर ली थी। लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं लगे थे। स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिसा लेने के कारण स्व छजू सिंह को अनेक यातनाएं दी गई। कई बार जेल गए और काला पानी की सजा भी भुगतनी पड़ी। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आजादी के आंदोलन में तन मन व धन से लगे रहे। राजकुमार बताते है कि उनके पिता ने कस्बे में इंटर कालेज की स्थापना कर क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाने का काम भी किया और आजादी के बाद पेंशन लेने से भी इंकार कर दिया था। पिताश्री को मिला ताम पत्र आज भी उनके पास सुरक्षित है और वह उनके पद चिन्हों पर चलकर उनके द्वारा स्थापित इंटर कालेज को डिग्री कालेज बनाने के लिए प्रयासरत है।


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