लाकडाउन में प्रभुजी की रसोई बनी तारणहार
असहायों को भोजन उपलब्ध कराने की मुहिम में जुटी प्रभुजी की रसोई कोरोना काल में तारणहार साबित हुई। दो माह के दौरान रसोई से 2.12 लाख से अधिक भोजन के पैकेट जरूरतमंदों को उपलब्ध कराए गए। दिन में 12 से 14 घंटे तक अनवरत चली रसोई से चाय-नाश्ते के अलाव फल आदि भी वितरित किए गए। खास बात है कि कोरोना के विपदा काल में समाज के हर वर्ग के लोगों ने बड़ी मात्रा में रसोई को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई।
सहारनपुर जेएनएन। असहायों को भोजन उपलब्ध कराने की मुहिम में जुटी प्रभुजी की रसोई कोरोना काल में तारणहार साबित हुई। दो माह के दौरान रसोई से 2.12 लाख से अधिक भोजन के पैकेट जरूरतमंदों को उपलब्ध कराए गए। दिन में 12 से 14 घंटे तक अनवरत चली रसोई से चाय-नाश्ते के अलाव फल आदि भी वितरित किए गए। खास बात है कि कोरोना के विपदा काल में समाज के हर वर्ग के लोगों ने बड़ी मात्रा में रसोई को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई।
मानवता की सेवा का संकल्प लेकर आगे बढ़ने वालों की कभी हार नही होती। नगर निगम के सहयोग से गांधी पार्क स्थित परिसर में संचालित प्रभुजी की रसोई की शुरूआत नौ अगस्त-2017 को हुई थी। तब से लेकर आज तक रसोई से हर दिन जरूरतमंदों को भोजन का वितरण किया जा रहा है। लोक कल्याण समिति द्वारा संचालित रसोई के संचालन का दायित्व व्यापारी नेता व समिति के सचिव शीतल टंडन संभाले हैं। वह बताते हैं कि परिवार के सदस्यों के जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ, राष्ट्रीय व धार्मिक उत्सव, पूर्वजों की पुण्यतिथि, पितृपक्ष, बेटे-बेटियों की शादी तथा अन्य अवसरों पर लोग रसोई में आकर भोजन दान कराते हैं। रोजाना करीब 400-500 लोग रसोई से दोपहर का भोजन ग्रहण करते हैं। कोरोना लाकडाउन के दौरान यह रसोई उन लोगों के लिए वरदान साबित हुई, जो रोजगार बंद हो जाने के कारण दाने-दाने के लिए परेशान हो चुके थे। नगर निगम के सहयोग से पैकेट वितरण
25 मार्च से 31 मई तक कोरोना लाकडाउन के दौरान प्रभुजी की रसोई से 2.12 लाख भोजन के पैकेट वितरित किए गए। नगर निगम को बांटने के लिए 1.36 लाख पैकेट दिए गए, जबकि शेष पैकेट वालंटियर्स के माध्यम से शहर के उन क्षेत्रों में लोगों तक घर-घर पहुंचाए गए, जिन्हें भोजन की सबसे ज्यादा जरूरत थी। मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, मेयर व नगर आयुक्त ने लगातार रसोई घर का संचालन व कामकाज देखा और उन वालंटियर्स का उत्साह बढ़ाया जो तन-मन-धन से जरूरतमंदों को भोजन के पैकेट उपलब्ध कराने के काम में जुटे थे। कामगारों की सहायता
कोरोना लाकडाउन के दौरान कामगारों को प्रभुजी की रसोई से खाने के पैकेट बनाकर दिए गए गए। बस और ट्रेनों से जब यह गंतव्य की ओर रवाना हुए तो रसोई से भोजन के पैकेट तैयार कर उन्हें दिए गए।