Move to Jagran APP

मासूमों की तलाश में घात लगाए बैठे आवारा कुत्ते

आवारा कुत्तों के हमले की एक और वारदात लखनौती के गांव कुंडा काला में घटित हुई.। आवारा कुत्तों के झुंड ने नादान बालक पर जानलेवा हमला कर दिया। बेहट तहसील के गांव दयालपुर के जख्म ताजा हुए तो ग्रामीण सचेत हो गए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 11:47 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 06:11 AM (IST)
मासूमों की तलाश में घात लगाए बैठे आवारा कुत्ते
मासूमों की तलाश में घात लगाए बैठे आवारा कुत्ते

सहारनपुर जेएनएन। आवारा कुत्तों के हमले की एक और वारदात लखनौती के गांव कुंडा काला में घटित हुई.। आवारा कुत्तों के झुंड ने नादान बालक पर जानलेवा हमला कर दिया। बेहट तहसील के गांव दयालपुर के जख्म ताजा हुए तो ग्रामीण सचेत हो गए। इस गांव में आवारा कुत्ते ने एक वर्षीय बच्ची को नोंचकर मार डाला था। मुर्तजापुर गांव भी आवारा कुत्तों के आतंक से सहमा दिख रहा है, यहां धर्म सिंह को खेत में काम करते समय कुत्तों ने हमला कर मार डाला था। ऐसे कई गांव है, जिन्होंने आवारा कुत्तों के आतंक से अपनों को गंवाया है। इन गांवों में अब बच्चे अकेले घर से बाहर नहीं निकलते, लेकिन सरकारी मशीनरी को इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता।

loksabha election banner

शहर में भी कम नहीं आतंक

आवारा कुत्तों का आतंक शहरी तथा कस्बाई इलाकों में भी है। गंगोह के गांव कुतुबखेड़ी में चार वर्षीय अर्नव को कुत्तों ने नोंचकर मार दिया था। गंगोह के ही बिलासपुर में एक बछड़ा आवारा कुत्तों ने मार डाला था। कुतुबखेड़ी में पांच वर्षीय बच्ची को आवारा कुत्तों ने दबोच कर घायल कर दिया था। गंगोह की रामबाग कालोनी में राकेश गर्ग पर आवारा कुत्तों के झुंड ने हमला कर घायल कर दिया था। लखनौती में इन्ही आवारा कुत्तों के झुंड ने हमला कर एक महिला सफाईकर्मी को मार डाला था। सहारनपुर में खूंखार कुत्तों ने तीन बच्चों को नोंचकर जख्मी किया था। गांव शेखपुरा कदीम में एक बालक को खींचकर कुत्तों मार डाला था। नूरबस्ती में छह साल की बच्ची को कुत्तों ने मार डाला था। नुमाइश कैंप, सुभाषनगर, मंडी समिति रोड, खाता खेड़ी, नूर बस्ती, पुराना कलसिया रोड सहित विभिन्न इलाकों में कुत्तों का आतंक है। कई बार नगर निगम से इसकी शिकायत करने के बाद भी यह आतंक जारी है।

आखिर क्यूं बढ़ गए हमले

इसका पता किसी को नहीं है कि अचानक कुत्ते बच्चों पर हमला क्यों करने लगे हैं। अधिकांश लोग इसके लिए आसपास के इलाकों में हो रहे मीट के अवैध कारोबार को जिम्मेदार ठहराते हैं। कहते हैं कि आवारा कुत्ते सड़क के किनारे फेंके जाने वाले मीट को खाकर हिसक हो रहे हैं, इसके नहीं मिलने पर यह बच्चों पर हमला करते हैं। कुछ का कहना यह भी है कि जंगलों से आवारा कुत्तों की नस्ल बाहर आ गई है, और हमला कर रही है। दरअसल जो कुत्ते हमला कर रहे हैं, वो सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों से थोड़े अलग बताए जा रहे हैं। उनके जबड़े भी अपेक्षाकृत मजबूत बताए जा रहे हैं। इसे लेकर वन विभाग की टीमें पता लगाने में जुटी हैं, ताकि हमला करने वाले कुत्तों की पहचान हो सके।

ढाक के तीन पात

आवारा कुत्तों पर लगाम लगाना नगर निगम का कार्य है, नगर निगम इसके लिये कुत्तों की नसबंदी का अभियान चला चुका है, नौ लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही निकला है।

इन्होंने कहा..

कुत्तों काटने के शिकार मरीजों की संख्या में इजाफा दर्ज किया गया है, एंटी रेबीज वेक्सीनेशन इन सभी मरीजों का किया जा रहा है। जिला अस्पताल के अलावा स्थानीय स्तर पर भी मरीजों को यह सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

- डा. बीएस सोढ़ी, सीएमओ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.