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आध्यात्म व प्रकृति की अनुपम छटा का संगम है शाकंभरी सिद्धपीठ

आध्यात्म व प्रकृति की अनुपम छटा का बेजोड़ स्थल है शाकंभरी सिद्धपीठ जागरण संवाददाता बेहट हिमालय पर्वत की शिवालिक श्रंखला की घाटी में शाकंभरी देवी श्रद्धा और भक्ति का ऐसा सिद्धपीठ है जिसकी अलौकिकता में प्रकृति ने भी रंग भर रखे हैं। इस पंचको

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 11:02 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 06:28 AM (IST)
आध्यात्म व प्रकृति की अनुपम छटा का संगम है शाकंभरी सिद्धपीठ
आध्यात्म व प्रकृति की अनुपम छटा का संगम है शाकंभरी सिद्धपीठ

सहारनपुर जेएनएन। हिमालय पर्वत की शिवालिक श्रंखला की घाटी में शाकंभरी देवी श्रद्धा और भक्ति का ऐसा सिद्धपीठ है, जिसकी अलौकिकता में प्रकृति ने भी रंग भर रखे हैं। इस पंचकोसी परिक्रमा में शिव और शक्ति का ऐसा अद्भुत संगम है, जिससे करोड़ों धर्म प्रेमियों की भावनाएं जुड़ी हैं। यही नहीं अलौकिकता कि अनुपम छटा बिखेरता यह स्थल पर्यटन के रूप में भी आमजन के मन में प्रकृति का प्रेम भरने में कोई कसर नहीं छोड़ता।

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सिद्ध पीठ श्री शाकंभरी देवी ऐसा स्थल है, जहां सदियों से आमजन ही नहीं इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले राजनीति के जनक चाणक्य जैसे महापुरुष अपने समय में पहुंचे हैं। यह सिद्ध स्थल हालांकि माता शक्ति के प्रमुख स्थानों में से एक है। इसके साथ ही यहां शिव के वास की भी मान्यता है। पंचकोशी क्षेत्र में देवाधिदेव महादेव के पांच प्रमुख स्थान हैं। इसलिए अध्यात्म और प्रकृति के अद्भुत संगम के चलते यह देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों के रूप में भी विकसित हो सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां पहुंचने वाले भक्तों की मनोकामना पूरी होती हैं। शिवालिक घाटी की छटा हर किसी का मन मोह लेती है। आरक्षित वन क्षेत्र में स्थित इस सिद्ध स्थल पर इतिहास के पन्नों में स्थान बनाने वाले महापुरुषों के साथ ही वर्तमान राजनीति के पुरोधा भी शीश नवाते रहे हैं। भाजपा शासनकाल में तो इस सिद्ध स्थल को विकास के दायरे में लाने की घोषणाएं मुख्यमंत्री स्तर तक की जा चुकी हैं। माता शाकंभरी मंदिर से एक किलोमीटर पहले प्रथम पूजा के लिए बाबा भूरा देव का मंदिर है। यहीं से माता के दरबार तक का रास्ता नदी के बीच से होकर गुजरता है। नदी जिसे खोल का नाम लिया जाता है, शिवालिक पर्वतमाला से ही निकलती है। हालांकि इसमें बरसात की स्थिति में ही पानी आता है वरना यह वर्ष भर सूखी रहती है। नदी से गुजरते हुए दोनों और हरा-भरा जंगल यहां पहुंचने वाले लोगों को माता के दर्शन के साथ ही प्रकृति की गोद में होने का एहसास भी कराता है। शाकंभरी सिद्ध पीठ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सरकारी सरकारी स्तर से कई बार घोषणाएं हुई, लेकिन वह फाइलों तक ही सीमित रह गई। धरातल पर कुछ भी नहीं किया गया। आरक्षित वन क्षेत्र से निकलते ही घाड़ क्षेत्र शुरू हो जाता है, जिसे कार्य योजना बनाकर विकसित किया जाए तो यह देश का अपने आप में अलग ही पर्यटन स्थल हो सकता है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दिल्ली-यमुनोत्री हाईवे से शाकंभरी तक हाईवे निर्माण की घोषणा की थी। लेकिन अभी तक इसका भी सर्वे नहीं हुआ है। इन सब घोषणाओं से यह बात तो साबित हो ही जाती है कि सरकारें भी यहां पर्यटन स्थल की संभावना को स्वीकार करती हैं। शाकंभरी सिद्ध पीठ के आसपास पर्यटन स्थल के लिए प्रकृति के तो सभी साधन मौजूद हैं, लेकिन उन्हें कार्ययोजना तैयार कर तराशने की जरूरत है। यदि इस पर काम होता है तो पश्चिम उत्तर प्रदेश की नहीं हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल तथा दिल्ली प्रदेशों के लोगों के लिए यह एक ऐसा पर्यटन स्थल बनेगा, जिसके लिए बहुत लंबी यात्रा की जरूरत नहीं पड़ेगी। पर्यटन स्थलों के शौकीन परिवार सुबह से शाम तक में ही आध्यात्मिक और प्रकृति की अनुपम छटा का आनंद ले सकेंगे।


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