माया-अखिलेश को नहीं आरक्षण की ¨चता: बृजलाल
सहारनपुर अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के चेयरमैन व प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने कहा कि
सहारनपुर: अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग के चेयरमैन व प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने कहा कि आरक्षण का राग अलापने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को असल में आरक्षण की ¨चता नहीं है। इनके अपने शासन में ही अनुसूचित जाति के अधिकारियों को अपमानित होना पड़ा था।
एससी-एसटी आयोग के चेयरमैन बृजलाल शनिवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। कहा कि जब प्रमोशन में आरक्षण किया गया तो उस समय बसपा ने पैरवी नहीं की। इसके चलते सपा शासन में अधिकारियों को अपमानित किया गया। एसडीएम को उनकी ही तहसीलों में नायब तहसीलदार बनाया गया। थानेदारों को उनके ही थानों में दीवान बना दिया गया। इससे स्पष्ट है कि बसपा सुप्रीमो मायावती को 23 प्रतिशत एससी-एसटी व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को 27 प्रतिशत पिछड़ों की ¨चता नहीं है। भाजपा ने ही इनकी ¨चता की है और उनके अधिकारों के लिए काम किया है। केंद्र की भाजपा सरकार ने एक जनवरी 2016 को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम में नये 25 और अपराधों को जोड़ा है, जिससे अधिनियम की प्रभावकारिता और बढ़ गयी है। कहा कि आज उन्होंने इस मामले की यहां समीक्षा की है। यहां के 19 मामलों की कार्यवाही पूरी हो गयी है। इसकी समीक्षा वह हर जगह कर रहे हैं। सरकार ने इसके लिए अलग से फंड दिया है। कोरी जाति के लोगों के प्रमाण पत्रों के मामलों की समीक्षा भी अधिकारियों के साथ की है। क्यों कि यहां एक बसपा का मुखौटा राजकुमार है जो जाति प्रमाण पत्रों में अड़ंगा लगाता है। इस संबंध में कोरी जाति के लोगों से भी उन्होंने कह दिया है कि वह कोर्ट में अपना वकील खड़ा करें और ऐसे लोगों को सबक सिखाएं। कहा कि अब प्रमाण पत्र जारी हो रहे हैं, और जो अधिकारी अब इसमें अड़ंगा लगाएगा, उसके खिलाफ सेक्शन-4 में मुकदमा दर्ज कराकर जेल भिजवाया जाएगा। इस तरह की कार्रवाई वह पूर्वी उत्तर प्रदेश में करा चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बसपा ने सुविधा केंद्रों से कोरी शब्द ही खत्म करा दिया था। अब ऐसी कोई समस्या नहीं है। सभी के प्रमाण पत्र बन रहे हैं। हमने बोल दिया है कि यदि कोई अधिकारी आपत्ति लगाता है तो उससे लिखित में ले लें ताकि उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सके।