बिखरे मोबाइल, कपड़े, जूते-चप्पल बयां कर रहे हादसे की भयावह
गांव सतपुरा में स्थित जिस पटाखा फैक्ट्री में आग लगी है उस पटाखा फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों ने किस तरह से अपनी जान बचाई यह उनके बिखरे मोबाइल कपड़े जूते-चप्पल बता रहे हैं।
सहारनपुर, जेएनएन। गांव सतपुरा में स्थित जिस पटाखा फैक्ट्री में आग लगी है उस पटाखा फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों ने किस तरह से अपनी जान बचाई यह उनके बिखरे मोबाइल, कपड़े, जूते-चप्पल बता रहे हैं। आग लगने के दौरान एक धमाका हुआ तो आसपास के ग्रामीण भी पटाखा फैक्ट्री में पहुंच गए और एक दीवार को तोड़कर घायलों को निकालने में पुलिस की मदद की। इसके बाद सभी को अस्पताल पहुंचाया गया।
एसपी देहात अतुल कुमार शर्मा का कहना है कि फैक्ट्री के लाइसेंस समेत सभी कागजात पूरे हैं। यहां पर आग बुझाने का वाटर सेफ्टी सिस्टम भी लगा हुआ है। बावजूद इसके यहां पर हादसा होता रहता है। शनिवार को भी शार्ट सर्किट से हादसा हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जिस समय आग लगी, उस समय फैक्ट्री का धुआं काफी दूर तक उड़ता हुआ दिखाई दिया, जिस कारण सैकड़ों की संख्या में लोग मौके की तरफ दौड़ पड़े। इस फैक्ट्री के मालिक अमित का कहना है कि पटाखा फैक्ट्री में सभी इंतजाम किए हुए हैं। मजदूरों को यहां पर काम करने से पहले दो दिन की ट्रेनिग भी दी जाती है। बताया जाता है कि यदि आग लग जाए तो कैसे अपनी जान बचानी है। यहां पर इमरजेंसी द्वार भी बनाए गए हैं। आग बुझाने के लिए कुछ लोगों को ट्रेंड भी किया हुआ है। यही कारण है कि शनिवार को हुए हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई।
पहले हुए हादसे का अदालत में चल रहा मुकदमा
बिहारीगढ़ थाना प्रभारी मनोज चौधरी ने बताया कि अक्टूबर 2020 में भी इस फैक्ट्री में आग लगी थी, जिसके बाद यहां पर दो महिलाओं समेत चार लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में मृतकों के परिवार की तरफ से फैक्ट्री के मालिक अमित और देखरेख करने वाले देहरादून निवासी सुनील अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। थाना प्रभारी ने बताया कि इस मुकदमे में कोर्ट में चार्जशीट जा चुकी है। अब यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। 2020 वाले हादसे को लेकर ही यहां पर स्थानीय लोग काम नहीं करते हैं।