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दैनिक जागरण का सहेज लो हर बूंद अभियान गांव भागूवाला के ग्रामीणों ने तीन दिन में नलकूप से भरा तालाब में पानी

बेहट में भविष्य में पानी के संकट से बचाव के लिए भू-जल स्तर बढ़ाने को लेकर अब ग्रामीण भी सक्रिय हो रहे है। इसके लिए सूखे पड़े तालाबों को तर करने की कवायद शुरू कर दी हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 May 2021 07:43 PM (IST)Updated: Sat, 01 May 2021 07:43 PM (IST)
दैनिक जागरण का सहेज लो हर बूंद अभियान  गांव भागूवाला के ग्रामीणों ने तीन दिन में नलकूप से भरा तालाब में पानी
दैनिक जागरण का सहेज लो हर बूंद अभियान गांव भागूवाला के ग्रामीणों ने तीन दिन में नलकूप से भरा तालाब में पानी

सहारनपुर, जेएनएन। बेहट में भविष्य में पानी के संकट से बचाव के लिए भू-जल स्तर बढ़ाने को लेकर अब ग्रामीण भी सक्रिय हो रहे है। इसके लिए सूखे पड़े तालाबों को तर करने की कवायद शुरू कर दी हैं।

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घाड़क्षेत्र के शिवालिक तलहटी से लगे गांव भागूवाला के सूखे पड़े तालाब में करीब 36 घंटे नलकूप चलाकर ग्रामीणों ने पानी भरा, जिससे कम से कम उनके मवेशियों की प्यास तो बुझ सके। अब ग्रामीण बरसात के पानी को सहेजने के प्रयास भी करने लगे हैं।

शनिवार को बेहट-शाकंभरी मार्ग पर स्थित गांव भागूवाला में दैनिक जागरण के सहेज लो हर बूंद अभियान के अंतर्गत ग्रामीणों से तालाब के बारे में बातचीत कर भू-जल को संरक्षित करने के प्रति जागरूकता का अभियान चलाया। इस गांव में पश्चिम की दिशा में एक बहुत पुराना तालाब है, जो गर्मी का मौसम शुरू होते ही सूखने लगता है, जिससे ग्रामीणों के सामने अपने मवेशियों के प्यास बुझाने का एक बड़ा संकट उत्पन्न हो जाता है। पूर्व प्रधान तिलक राम सैनी का कहना है कि करीब 30 साल पूर्व इस तालाब में पहाडि़यों से निकलने वाले एक रास्ते से पानी आता था, जिससे यह तालाब पानी से लबालब रहता था, लेकिन अब वह रास्ता बंद कर दिया, जिससे गर्मी शुरू होते ही यह सूख जाता है।

इसके अलावा ग्रामीण ब्रजपाल सिंह, शब्बीर अहमद, कर्णवीर आदि का कहना है कि इस तालाब का रकबा राजस्व अभिलेखों में करीब 24 बीघा है, लेकिन अवैध कब्जों के चलते अब यह सिर्फ चार बीघा में ही सिमट गया है। गर्मी शुरू होते ही इसका पानी सूख गया था, जिससे उनके सामने मवेशियों आदि की प्यास बुझाने की विकट समस्या खड़ी हो गई थी। उन्होंने गांव के प्रत्येक घर से 150-150 रुपये एकत्र कर एक ट्यूबवेल को तीन दिन चलाया, जिससे इस तालाब में पानी भरा गया। उनका कहना है कि इसके लिए हम सबको सामाजिक तौर पर अब प्रयास करने होंगे। बारिश का पानी तालाब में रुकने के साथ ही तालाब को लबालब रखने के लिए भले ही ट्यूबवेलों से पानी की व्यवस्था क्यों न करनी पड़े। गांव के मवेशियों की प्यास बुझाने में तालाब की उपयोगिता तो रहेगी ही मछली पालन आदि से भी गांव में रोजगार का साधन बनेगा।


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