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बेजान वाहन ले रहे जान

सहारनपुर : ये सड़क पर दम दिखाने का नहीं, दम निकालने का मामला है। दोषी हैं, वे वाहन, जो

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Nov 2017 10:40 PM (IST)Updated: Tue, 21 Nov 2017 10:40 PM (IST)
बेजान वाहन ले रहे जान
बेजान वाहन ले रहे जान

सहारनपुर : ये सड़क पर दम दिखाने का नहीं, दम निकालने का मामला है। दोषी हैं, वे वाहन, जो अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं, फिर भी बेलौस सड़क पर दौड़ रहे हैं। ये सिर्फ दूसरों के लिए नहीं, अपने लिए भी जानलेवा हो सकते हैं। इस साल अब तक 462 हादसों में 227 लोगों ने जान गंवाई है, उसके लिए ऐसे तमाम बेजान वाहन भी जिम्मेदार हैं। दुखद यह भी कि अपराध बंद कमरे में नहीं हो रहा। फिर भी, अफसरों को अनफिट गाड़ियों में कोई कमी ही नहीं दिखती। दूसरा पहलू यह भी कि जो बसें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व कर्नाटक से हटाई जा चुकी हैं, उन्हें हम 'परफेक्ट' बताकर चलने की मंजूरी बांट चुके हैं। हालांकि पिछले सप्ताह ही दूसरे राज्यों के वाहनों को फिटनेस न देने का दम जरूर भरा गया है, मगर होगा क्या? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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जांच की खानापूरी: मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 54 व 56 के तहत फिटनेस की जांच वहीं अधिकारी कर सकता है, जो इंजीनियर हो और हर तरह के वाहनों की तकनीकी जानकारी रखता हो। फिटनेस सर्टिफिकेट देने से पहले वाहन की जांच भी होनी चाहिये। यह भी देखा जाना चाहिये कि वाहनों में फॉग लाइट, हेड लाइट, बैक लाइट, पार्किंग लाइट, रिफ्लेक्टर आदि ठीक हैं भी कि नहीं। ये सब कुछ हो भी रहा है, लेकिन कागजों में। यह औपचारिकता भी आरटीओ दफ्तर में हो रही है। ट्रैफिक पुलिस ही चे¨कग के दौरान खामियां मिलने पर अर्थदंड लगाती है। वह भी मामूली होता है।

कहां गए रिफ्लेक्टर: लाइट पड़ने पर दूर से चमक जाने वाले रिफ्लेक्टर अधिकांश पुराने वाहनों में नहीं दिखते। टेंपों, ट्रैक्टर-ट्राली, बैलगाड़ी, बुग्गी, तांगा, रिक्शा आदि में भी रिफ्लेक्टर जरूरी हैं, लेकिन यह सिर्फ कागजी बात है। रात में हादसों की एक बड़ी वजह यह भी है। रिफ्लेक्टर नहीं होने से कई बार तो डिवाइडर से ही भिड़ंत हो जाती है। नियमानुसार बुग्गी का पिछला हिस्सा पीले या सफेद रंग से पुता होना चाहिए। रिफ्लेक्टर की पट्टी भी होनी चाहिए, जो बुग्गियों में दिखाई नहीं देती। टैक्टर-ट्राली के लिए भी यही नियम लागू हैं।

टैक्टर-ट्रॉली का दुरुपयोग: खेतिहर काम बताकर ट्रैक्टर-ट्रॉली का पंजीकरण कराकर इसका खूब व्यावसायिक इस्तेमाल हो रहा है। शहर से लेकर देहात तक बालू, ईंट, मिट्टी की ढुलाई हो रही है। इनमें से अधिकांश वाहन खेती के लिए ही पंजीकृत हैं। ये वाहन शहर में वर्जित हैं। पर, माल ढुलाई के लिए नो-एंट्री में छूट का दूसरे भी खूब दुरुपयोग कर रहे हैं। चे¨कग हुई भी तो सिर्फ वाहन के दस्तावेज या चालक के ड्राइ¨वग लाइसेंस की।

मामूली जुर्माना: जुर्माने की राशि का कम होना भी लापरवाही की वजह है।मामूली जुर्माना जमा कर वाहन चालक फिर गलती दोहराते हैं। पर, रोड ट्रांसपोर्ट एंड सेफ्टी एक्ट के ड्राफ्ट में नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने की रकम कई गुना करने का प्रस्ताव है। इसके बाद रेड लाइट क्रास करने, बिना सीटबेल्ट ड्राइ¨वग करने, गलत दिशा में चलने पर पांच हजार रुपये जुर्माना लगेगा। स्पीड लिमिट पार करने पर पांच से 12,500, इंश्योरेंस न होने पर 10 हजार और शराब पीने पर 15 हजार से 50 हजार रुपए तक का जुर्माना प्रस्तावित है। एक्ट के तहत निजी वाहनों को भी फिटनेस सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है।

इन्होंने कहा..

जब से मैंने जिले में चार्ज लिया है, हर वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट पर बेहद ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। बीच-बीच में औचक चे¨कग भी कर रहे हैं, ताकि गड़बड़झाला नहीं हो सके।

एलके मिश्रा, आरटीओ, सहारनपुर।


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