अशोभनीय भाषा के प्रयोग से वकील भड़के, शासनादेश वापस
अशोभनीय भाषा के प्रयोग से वकील भड़के शासनादेश वापस
अशोभनीय भाषा के प्रयोग से वकील भड़के, शासनादेश वापस
संवाद सहयोगी, सहारनपुर: वकील के प्रति अशोभनीय भाषा के प्रयोग वाले शासनादेश को चार दिन बाद ही शासन ने वापस ले लिया है। पूरे प्रदेश में इस शासनादेश के कारण अधिवक्ता समाज आंदोलनरत हो गया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अदालती कामकाज ठप कर वकीलों ने इस शासनादेश का खुला विरोध किया।
ज्ञात हो कि 12 अप्रैल 2022 को लखनऊ में एक वादकारी के साथ हुई मारपीट में कतिपय किसी अधिवक्ता का नाम सम्मिलित किया गया। इसे देखते हुए शासन ने 14 मई को शासनादेश जारी कर वकीलों के लिए अराजक शब्द इस्तेमाल किया था। साथ ही इस शासनादेश में अराजक वकीलों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी को अधिकृत किया गया। यह शासनादेश जैसे ही जिलों में पहुंचा और इसकी जानकारी अधिवक्ता समाज को हुई तो इसकी अमर्यादित भाषा से वकीलों में रोष पैदा हो गया। देखते ही देखते पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश संघर्ष समिति मेरठ ने 22 जिलों में एक दिन के न्यायिक कार्यों के बहिष्कार का फैसला लिया। वहीं, दूसरी ओर बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के पूर्व चेयरमैन इमरान मामूद ने बार काउंसिल के चेयरमैन को पत्र लिखकर इस अशोभनीय भाषा वाले शासनादेश पर कार्रवाई करने की मांग की। नतीजा यह हुआ कि बुधवार को ही शासन को अपना पुराना शासनादेश वापस लेना पड़ा।
यह था शासनादेश
विशेष सचिव प्रफुल्ल कमल की ओर से प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को जारी 14 मई2022 के शासनादेश में कहा गया था कि जनपद न्यायालयों में अधिवक्ताओं की ओर से किये जाने वाले अराजकतापूर्ण कृत्यों का तत्काल संज्ञान लिया जाना सुनिश्चित करें। ऐसे अधिवक्ता के विरुद्ध नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई करें। साथ ही समय-समय पर कृत कार्रवाई की सूचना शासन को उपलब्ध कराएं।