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सत्ता के इशारे पर मौत की संख्या कम करने में जुटा रहा प्रशासन

सहारनपुर : जहरीली शराब कांड की जांच के लिए सपा के नगर विधायक संजय गर्ग के नेतृत्व में प

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 10:45 PM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 10:45 PM (IST)
सत्ता के इशारे पर मौत की संख्या कम करने में जुटा रहा प्रशासन
सत्ता के इशारे पर मौत की संख्या कम करने में जुटा रहा प्रशासन

सहारनपुर : जहरीली शराब कांड की जांच के लिए सपा के नगर विधायक संजय गर्ग के नेतृत्व में प्रभावित गांव पहुंची टीम ने एक-एक पीड़ित से बात की। समिति जिस भी दरवाजे पर पहुंची, वहीं जिला प्रशासन के खिलाफ आक्रोश नजर आया। बताया गया कि पांच-पांच घंटे तक शवों को मोर्चरी में रखने के बाद बिना पोस्टमार्टम के ही निकलवा दिया गया। क्षेत्र के एक पूर्व विधायक पर भी प्रशासन के इशारे पर लोगों को बहका कर बिना पोस्टमार्टम के ही शवों का अंतिम संस्कार करवाए जाने का आरोप लगाया गया।

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रविवार को चकरौता रोड स्थित सपा नेता सरफराज खान के आवास पर पत्रकारों से वार्ता करते हुए नगर विधायक संजय गर्ग, पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर, विधायक नाहिद हसन, जिलाध्यक्ष रुद्र सैन, बिजनौर के पूर्व विधायक मूलचंद चौहान तथा सुधीर पंवार ने बताया कि जांच समिति गांव ताजपुर, सलेमपुर, उमाही, शरबतपुर, गागलहेड़ी, कोलकी, दीनारपुर सहित अन्य गांव पहुंची। जिस भी चौखट पर हम पहुंचे, वहां जिला प्रशासन से लोग नाराज थे। बताया कि जिस-जिस को जिला अस्पताल में भर्ती कराया, उनकी मृत्यु हो गई और जो अन्य अस्पतालों में पहुंचे, उनमे से कुछ लोग बच गए। संजय गर्ग ने बताया कि जहरीली शराब से मौत का आंकड़ा 90 से भी ज्यादा है, लेकिन मुआवजा सिर्फ 36 को दिया गया। मेरठ रेफर हुए 36 मरीजों में से छह तो मृत ही पहुंचे और 18 की मृत्यु मेरठ मेडिकल कॉलेज में हुई। इनमें पोस्टमार्टम सिर्फ 18 का ही हुआ। 19 मरीजों का इलाज आज भी वहीं चल रहा है। पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर ने बताया कि मेरठ मेडिकल कॉलेज में सात ऐसे मरीज हैं, जिनके आंखों की रोशनी 70 से 80 प्रतिशत तक जा चुकी है। कहा कि, जिला प्रशासन का सारा जोर उचित इलाज करवाने के बजाए सिर्फ इस बात पर रहा कि किसी भी तरह मौत की संख्या कम दिखाई जाए, जिसमें जिला प्रशासन काफी हद तक कामयाब भी रहा।

विधायक नाहिद हसन ने बताया कि, शराब माफिया को संरक्षण देने वाले अफसरों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए, मगर सिर्फ सीओ व इंस्पेक्टर को निलंबित कर प्रदेश सरकार जवाबदेही से बचना चाहती है। समिति ने दो लाख मुआवजा को ऊंट के मुंह में जीरा बताया। कहा कि जितने ग्रामीणों को चेक दिए गए उनमें से आधे प्रशासन को लौटा दिए गए क्योंकि किसी में नाम गलत है तो किसी में जगह।

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एसआइटी की जांच पर भी सवाल

नगर विधायक संजय गर्ग व पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर ने शासन स्तर पर गठित की गई एसआइटी की जांच पर भी सवाल उठाए। कहा कि इस टीम में दो स्थानीय अफसरों को शामिल किया गया है, जो नहीं होना चाहिए था। इससे ही सरकार की मंशा स्पष्ट हो रही है।


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