छत ही नहीं, बरसात में आंखों से भी रिसता है पानी
टप-टप-टप इस आवाज को सुनकर प्रकाशी की रातों की नींद उड़ जाती है। मन आशंकित हो उठता है। घर में हर कहीं पानी और ऐसे ही माहौल में रहने की उसकी मजबूरी उसकी आंखों में भी पानी भर लाती है। शहरों में भले ही प्रधानमंत्री आवास योजना का लोगों को फायदा मिला हो लेकिन गांव-देहात की स्थिति इससे काफी अलग है। गांव पीरमाजरा बेरखेड़ी व अन्य गांवों में आज भी कई विधवा महिलाएं और मजदूर लोग ऐसे ही कचे मकानों में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं।
सहारनपुर जेएनएन। टप-टप-टप, इस आवाज को सुनकर प्रकाशी की रातों की नींद उड़ जाती है। मन आशंकित हो उठता है। घर में हर कहीं पानी और ऐसे ही माहौल में रहने की उसकी मजबूरी उसकी आंखों में भी पानी भर लाती है। शहरों में भले ही प्रधानमंत्री आवास योजना का लोगों को फायदा मिला हो, लेकिन गांव-देहात की स्थिति इससे काफी अलग है। गांव पीरमाजरा, बेरखेड़ी व अन्य गांवों में आज भी कई विधवा महिलाएं और मजदूर लोग ऐसे ही कच्चे मकानों में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं।
नहीं मिला योजना का फायदा
ग्राम पीरमाजरा निवासी प्रकाशी के पति भोपाल सिंह की 2013 में मौत हो गई थी। प्रकाशी मजदूरी कर जीवन यापन करती हैं। आज तक पति का पक्का मकान बनाने का सपना अधूरा है। प्रकाशी कहती हैं कि कई बार प्रधानमंत्री आवास योजना के फार्म भरे, लेकिन आज तक फार्म मंजूर नहीं हुआ। न ही, कभी सचिव ने मकान आकर देखा। इसी गांव के प्रदीप कुमार का भी यही दर्ज है।
दस साल से पन्नी का सहारा
ग्राम बेरखेड़ी में राजपाल पुत्र नरेश पिछले 10 सालों से अपने परिवार के साथ पन्नी की छत के नीचे रहने को मजबूर हैं। तेज आंधी और बारिश में यह सहारा भी छिन जाता है। बेरखेड़ी के ही सुखपाल छप्पर में गुजारा कर रहे हैं। उनको भी आवास योजना का अभी तक लाभ नहीं मिला है। ग्राम बोड़पुर में जहीर भी अपने चार बच्चों के साथ पन्नी के सहारे दिन गुजार रहे हैं।
व्यवस्था से मायूसी
ग्रामीण बताते हैं कि सरकार की महत्वाकांक्षी आवास योजना भी नेताओं के कहने पर चलती हैं। जिनकी सिफारिश की जाती है। उन्हें ही आवास योजना का लाभ मिलता है।
--
इन्होंने कहा..
जैसे ही शासन से धन आवंटित होगा वैसे ही मकान बनेंगे। अगर कोई पन्नी या कच्चे घरों में रह रहा है। उनके सर्वे पिछले साल हो गए थे। उम्मीद है कि इस साल के अंत तक मकानों के लिए पैसा आवंटित हो जाएगा, फिर मकान बनेंगे।
-दुष्यंत सिंह, परियोजना निदेशक सहारनपुर।