यात्री बसों में अब शारीरिक दूरी की अनदेखी
कड़ाके की ठंड में रोडवेज बसों में यात्रा करने के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। दोपहिया वाहन से सफर करने वाले लोग बसों को ठंड में बेहतर सेवा मानते हैं। ज्यादातर बसों में कोरोना गाइडलाइन की अनदेखी हो रही है।
सहारनपुर, जेएनएन। कड़ाके की ठंड में रोडवेज बसों में यात्रा करने के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। दोपहिया वाहन से सफर करने वाले लोग बसों को ठंड में बेहतर सेवा मानते हैं। ज्यादातर बसों में कोरोना गाइडलाइन की अनदेखी हो रही है। यात्रियों के बीच शारीरिक दूरी का सर्वथा अभाव देखा गया। मास्क के प्रति भी यात्री गंभीर नहीं दिखे।
कोरोना के खतरे के लिए इन दिनों लोग लापरवाह हो रहे हैं। कामकाज के लिए कस्बों और अन्य शहरों में जाने वाले लोग दुपहिया वाहन की अपेक्षा बस मे यात्रा को ही वरीयता दे रहे हैं। रेलवे रोड स्थित रोडवेज बस स्टैंड और अंबाला रोड स्थित स्टैंड से रोजाना हजारों यात्रियों का आवागमन होता है। जून में कोरोना अनलाक शुरू होने के बाद बसों में यात्रियों की संख्या सीमित रखने सहित बचाव के कई उपायों को प्राथमिकता दी गई थी, लेकिन धीरे-धीरे यह व्यवस्था अब दम तोड़ रही है। बस स्टैंड पर यात्रियों के लिए बैठने आदि के लिए पर्याप्त बेंच भी नहीं है। बारिश में यात्रियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। एक बस के शीशे टूटे थे, जिससे यात्री ठंड से बेहाल नजर आए।
आगरा के लिए चली बस में चालक मनीष और परिचालक अजीत सिंह मास्क लगाए थे, लेकिन बस में सवार कई यात्री मास्क के प्रति गंभीर नहीं थे। यात्री युसुफ, विशाल व आर्य सैनी का कहना था कि वह कोरोना से बचाव के प्रति सचेत हैं। विभाग को बसों में यात्रियों की संख्या सीमित करने के लिए सख्ती से कदम उठाने चाहिए।